शिमला। हिमाचल प्रदेश के स्पीती इलाके में ढाई सौ करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। गरीब बच्चों को स्कूल तक लाने वाली मिड डे मील योजना के तहत स्कूलों को दिया जाने वाला करीब 500 क्विंटल चावल अफसर डकार गए। मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। स्पीती घाटी के सैकड़ों स्कूली बच्चों को पिछले 2 सालों से मिड मील का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग की निरीक्षण विंग की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है। अब रिपोर्ट विभाग के उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है।
गौरतलब है कि पूरे देश में गरीब बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से मिड डे मील की योजना शुरू किया गया था। इस योजना के तहत सिविल सप्लाई खाद्य आपूर्ति निगम से चावल की आवंटित होने वाली खेप उठाकर स्कूलों को सप्लाई होती है। चीन सीमा से सटे जनजातीय क्षेत्र में अप्रैल 2014 से सितंबर 2016 तक मिड-डे मील के तहत स्कूलों को चावल का कोटा नहीं मिला है। कोटा क्यों नहीं मिला या बीच में कैसे गायब हो गया यह एक जांच का विषय है।
ये भी पढ़ें - ‘फेरा’ के फेर में फंसा भगौड़ा शराब कारोबारी, अदालत ने दिया संपत्ति कुर्क करने का आदेश
यहां बता दें कि स्कूलों को मिड डे मील का कोटा नहीं मिलने से स्कूल इंचार्ज और प्रिंसिपलों ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर इसे बंद करने की सिफारिश कर दी है। निरीक्षण विंग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों को दिया जाने वाला चावल ए ग्रेड का होता है जिसकी बाजार में कीमत करीब 60 रुपये प्रतिकिलो है। गौर करने वाली बात है कि मिड डे मील की बेहतर मॉनीटरिंग के लिए प्रारंभिक शिक्षा विभाग को राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुका है।