नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनावों से पहले अपने महागठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए एक महामंथन बैठक बुलाई है। इस बैठक में सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। आगामी बुधवार यानी 27 फरवरी को दिल्ली में इस बैठक का आयोजन किया गया है, लेकिन लेफ्ट पार्टियां इस बैठक में शामिल नहीं होंगी। यह बैठक न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर बुलाई गई है, जिसमें कांग्रेस, टीडीपी, राजद समेत कई राजनीतिक दल इसमें शामिल होंगे, लेकिन वाम दलों ने इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है।
भाजपा के सामने विपक्ष का एक उम्मीदवार
असल में पिछले दिनों ही विपक्षी दलों ने आगामी 27 फरवरी को न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लेकर एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्षी दलों ने गठबंधन और सीटों के तालमेल को लेकर सामजस्य बैठाना अहम मुद्दा होगा। कुछ विपक्षी दलों का इस दौरान कहना है कि भाजपा के सामने विपक्षी दलों को एकजुट होते हुए एक उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए, लेकिन कुछ दल आपनी गतिरोध के चलते इस पर राजी नहीं हैं। ऐसे में यह बैठक सीटों का तालमेल बैठाने के लिए अहम होगी ।
इनके आने की संभावना
बता दें कि इस न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत बुलाई गई इस बैठक में महागठबंधन को लेकर चर्चा होने वाली है। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, राजद के तेजस्वी यादव के अलावा और छोटे दल के नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना है।
क्या सपा-बसपा शामिल होगी
यूपी में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाकर खुद गठबंधन करने वाली सपा-बसपा इस बैठक में जाएगी, या नहीं इस बारे में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि मौजूदा हालात में इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं, क्योंकि अखिलेश यादव के साथ मायावती दोनों ने ही कांग्रेस को काफी हल्का बताया है। ऐसा कहते हुए उन्होंने खुद गठबंधन की सीटें बांटी और कांग्रेस को घास तक नहीं डाली।
कांग्रेस ने टाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
वहीं इस महामंथन बैठक से पहले कांग्रेस ने गुजरात में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को आगे बढ़ा दिया था। सीडब्ल्यूसी की बैठक अहमदाबाद में 26 फरवरी को होने वाली थी, जिसे बढ़ा कर 28 फरवरी कर दिया गया। चर्चा है कि 27 को न्यूनतम साझा कार्यक्रम के जरिए विपक्ष लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों का तालमेल बिठाना चाहता है।