इस्लामाबाद। आतंकियों के संरक्षण को लेकर दुनिया के अधिकांश देशों के निशाने पर आने वाला पाकिस्तान अभी भी अपने यहां सक्रिय आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए तैयार नहीं है। दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों इन आतंकियों को पाकिस्तान को बिना बताए मारने की बात कही, लेकिन पाकिस्तान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद जहां पिछले दिनों आतंकी संगठन जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की ऐलान कर दिया वहीं अब अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जा चुके फजलुर रहमान खलिल ने भी अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की है। इन आतंकियों द्वारा खुद की राजनीतिक पार्टी बनाए जाने के पीछे मंशा अपने लिए एक सुरक्षा कवच बनाने की है, जो राजनीतिक पार्टी बनने के बाद इन लोगों को मिल जाएगा।
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रक्षा मामले के जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन अब अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते अपनी राजनीतिक पार्टियां बना रहे हैं। पहले जमात-उद-दावा ने अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान किया था। अब अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जा चुके फजलुर रहमान खलिल ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की। पाकिस्तानी मीडिया से मिल रही खबरों के मुताबिक वह अपनी राजनीतिक पार्टी का नाम इसलाह-ए-वतन रख रहा है। अमेरिका द्वारा पिछले दिनों पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर लगाए जा रहे प्रतिबंध के बाद पाकिस्तानी आतंकी संगठनों ने खुद को बचाने के लिए यह रास्ता अपनाया है।
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बहरहाल आतंकी संगठनों के इस रुख को लेकर भारतीय खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। सेना के एक अफसर ने बताया कि ऐसा करने से इन आतंकी संगठनों को न सिर्फ पश्चिमी देशों के पाकिस्तान पर बढ़ते दबाव से छुटकारा मिलेगा उन्हें अपने छिपे मकसदों को कानूनी तौर पर अंजाम देने में भी आसानी होती है। एक बार राजनीतिक पार्टी आती है तो सभी प्रतिबंधित सदस्य कानूनी रूप से वैध पार्टी के सदस्य बन जाते हैं। ऐसे में उनपर कोई कार्रवाई किए जाने से पहले कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है।
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