पटना। बिहार में राजनीति में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सीटों के बंटवारे पर खुद को असहज महसूस करने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) उससे अलग हो सकती है। अगर ऐसा होता है और पार्टी के मुखिया और केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा इस्तीफा दे देते हैं तो शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का विलय रालोसपा में हो सकता है। कुशवाहा और शरद यादव की मुलाकात के बाद इस बात के कयास तेज हो गए हैं।
गौरतलब है कि उपेन्द्र कुशवाहा बिहार में सम्मानजनक सीटों की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी वहां सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। अब कुशवाहा ने इसके मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी से 28 नवंबर से 30 नवंबर के बीच मिलने का समय मांगा है।
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यहां बता दें कि शरद यादव आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के खिलाफ बिहार में कांग्रेस, जनता दल, रालोसपा, हम और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाना चाहते हैं। राजग से नाराजगी के बीच बीते दिनों शरद और कुशवाहा की मुलाकात में महागठबंधन पर चर्चा के दौरान दोनों दलों के विलय पर भी गंभीर मंथन हुआ। इस मामले में शरद का रुख बेहद सकारात्मक था।
ऐसा माना जा रहा है कि उपेन्द्र कुशवाहा की राजग में मौजूदगी बस औपचारिकता भर है। वे चाहते हैं कि उन्हें गठबंधन से अलग कर दिया जाए। यही वजह है कि वह विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिल रहे हैं और दूसरी तरफ पीएम से मिलने का वक्त भी मांग रहे हैं।