नई दिल्ली । आगरा के सांसद राम शंकर कठेरिया के एक बयान के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर जारी बहस को नई हवा मिल गई है। कठेरिया ने अपने एक बयान में कहा कि हम भारत में हैं , पाकिस्तान में नहीं है, AMU को कायदे-कानून मानने होंगे । मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) , UGC और अल्पसंख्यक आयोग ने एएमयू को बता दिया है कि उसे अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त नहीं होगा। कठेरिया ने कहा कि अगस्त के अंत तक एससी/एसटी पैनल की पूरी कमेटी बैठेगी और एएमयू प्रशासन को निर्देश देगी कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मिलने वाला कोटा वह भी जारी करे। कठेरिया का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अगस्त में एएमयू अपने अल्पसंख्यक दर्जे के कागजात जमा करने जा रहा है।
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अगस्त में AMU जमा करेगा कागजात
बता दें कि देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आरक्षण नीति लागू कराने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एससी आयोग) ने पूरी तैयारी कर ली है। अगस्त में एएमयू अपने अल्पसंख्यक दर्जे के कागजात जमा करने जा रहा है। इससे पहले एससी पैनल के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया ने एक बयान देकर इस मुद्दे को फिर से गर्मा दिया है।
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केंद्र सरकार साफ कर चुकी है रुख
असल में केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। सरकार का कहना है कि वह एएमयू को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान नहीं मानती।
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कोई सबूत नहीं हैं
इस मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कठेरिया ने कहा कि गत 3 जुलाई को AMU पदाधिकारियों के साथ हमारी बैठक हुई थी। उस दौरान यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और उप-कुलपति अल्पसंख्यक दर्जे का एक भी कागजात नहीं दिखा पाए। हमने उन्हें एक महीने का वक्त दिया लेकिन अब स्पष्ट है कि उनके पास संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
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