लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को एक पुराने मामले में गिरफ्तार करने के लिए गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया गया है। बता दें कि माननीयों के मुकदमे के लिए गठित विशेष अदालत ने यह आदेश दिया है। खबरों के अनुसार रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ यह मामला साल 2010 का है जब से कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थीं।
गौरतलब है कि रीता बहुगुणा जोशी पर आरोप है कि वे कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष मीरा सिंह के साथ धारा 144 लागू होने के बाद शहीद पथ पर सभा की और उसके बाद भीड़ के साथ विधानसभा कूच करने निकल पड़ीं। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो बवाल, तोड़फोड़ व आगजनी हुई थी। इस मामले में उनके खिलाफ वजीरगंज थाने में मामला भी दर्ज कराया गया था।
यहां बता दें कि विशेष अदालत के न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने इस मामले में रीता बहुगुणा जोशी के लगातार समन के बाद भी अदालत में पेश न होने पर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है। विशेष न्यायाधीश ने कहा कि 14 फरवरी 2011 को कोर्ट ने संज्ञान लेकर सम्मन जारी किया। उसके बाद नियत तारीख पर कई सम्मन जारी हुए। 18 अगस्त 2017 को 10 हजार रुपये का जमानती वारंट जारी हुआ।
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गौर करने वाली बात है कि 17 सितंबर 2018 तक करीब 12 तारीखों पर रीता जोशी उपस्थित नहीं हुईं। कोर्ट का कहना है कि मुकदमे के जल्द निपटारे के लिए आरोपी का उपस्थित होना जरूरी है। ऐसे में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करना बिल्कुल उचित है।
कोर्ट ने कई कड़े निर्देशों का पालन करने का भी आदेश भी दिया है।
- रीता बहुगुणा जोशी 31 अक्तूबर को स्वंय कोर्ट में उपस्थित रहेंगी।
- विधि, न्याय व प्रक्रिया का अक्षरशरू पालन करेंगी।
-साक्ष्य को नष्ट नहीं करेंगी और साक्षियों को प्रभावित नहीं करेंगी।
-मुकदमे के त्वरित निस्तारण में सहयोग करेंगी और न्यायिक प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करेंगी। कोर्ट ने चेतावनी भी दी है कि इन शर्तों का पालन नहीं करने पर विधिसंगत कार्यवाही की जा सकेगी।