नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरिमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर लगे आरोपों को लेकर जारी मामले की सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोट् ने CJI के खिलाफ षड्यंत्र के दावों पर कहा - जिस तरीके से इस संस्था से पेश आया जा रहा है, हम उससे नाराज हैं । यदि ऐसा होगा तो हम काम नहीं कर पाएंगे । इस दौरान पीठ ने CJI के खिलाफ षड्यंत्र संबंधी वकील के दावों पर कहा - यह इस संस्था को बदनाम करने के लिए एक सोचा समझा हमला किया है। चार से पांच प्रतिशत वकील ऐसे हैं जो इस महान संस्था को बदनाम कर रहे हैं । पीठ ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम खड़े हों और देश के अमीर एवं ताकतवर लोगों को बताएं कि वे ऐसा नहीं कर सकते ।
मामले की सुनवाई के दौरान इस पीठ ने कहा - यह सब क्या चल रहा है । लोग पैसे की पावर से मामलों को सैटल करना चाहते हैं । आप जिसकी चाहे उसकी छवि खराब कर सकते हैं । जज आते हैं और जाते हैं ये आपका संस्थान है । संस्थान को साफ करना होगा। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिक्सिंग के आरोप गंभीर हैं। जब भी बड़ा मामला आता है तो लोग चिट्ठी लिखने लगते हैं । लंबित मामलों में किताबें लिखी जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट किसी के द्वारा रिमोट से कंट्रोल नहीं हो सकता । हम देखेंगे कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कैसे हो । किसी को भी सच्चाई नहीं पता ।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष न्यायालय में ‘फिक्सिंग' के दावों और सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को बुधवार को ‘अत्यधिक संवेदनशील' करार दिया है । न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की पीठ में ‘फिक्सिंग' के बारे में अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस द्वारा दाखिल हलफनामे में लगाए गए आरोप और कुछ नामों का खुलासा बहुत ही गंभीर हैं ।
पीठ ने कहा, ‘हम जांच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जायेंगे । यदि वे अपना काम करते रहे तो हममें से कोई भी नहीं बचेगा। इस व्यवस्था में फिक्सिंग की कोई भूमिका नहीं है । हम इसकी जांच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जायेंगे।