नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की राजनीति में लेफ्ट पार्टी को उखाड़कर तृणमूल कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले मुकुल राॅय आखिरकार भाजपाई हो गए। उन्होंने नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। मुकुल राॅय के भाजपा में शामिल होने को तृणमूल कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है वहीं पश्चिम बंगाल की राजनीति में पैठ बनाने की कोशिश में जुटी भाजपा के लिए बड़े फायदे के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी के अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को प्रमोट करने के कारण दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई थीं।
कांग्रेस का किया समर्थन
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को स्थापित करने और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राजनीति के मैदान में लाने का श्रेय मुकुल राॅय को ही जाता है। राॅय ने दशकों से पश्चिम बंगाल में शासन कर रही लेफ्ट को सत्ता से उखाड़ फेंकने में भी मुकुल राॅय ने अहम भूमिका निभाई थी। ममता बनर्जी की सरकार में उन्हें नंबर 2 का दर्जा हासिल था। साल 2008 में जब वाम मोर्चा ने केन्द्र सरकार से न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर समर्थन वापस ले लिया तब टीएमसी गठजोड़ का हिस्सा बनकर सरकार में शामिल हो गई। मुकुल राॅय की हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके बाद उन्हें केन्द्र में जहाजरानी मंत्री बनाया गया।
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भतीजे को तवज्जो बनी वजह
आपको बता दें कि कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अति विश्वस्त माने जाने वाले श्री राय और सुश्री बनर्जी के बीच 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले ही दूरियां बढ़ने लगी थीं। सारदा चिटफंड घोटाले से उनके नाम जुड़ने के अलावा नारद कांड में संलिप्त होने के आरोप और पार्टी में उनकी जगह मुख्यमंत्री के भतीजे व सांसद अभिषेक बनर्जी को दूसरा स्थान देने की वजह से मुकुल और ममता के बीच दूरियां बढ़ती गईं। पिछले कई महीने से यह अफवाह बार-बार उठ रही थी कि मुकुल राय तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाएंगे। यहां बता दें कि इस खबर से ममता बनर्जी भी अंजान नहीं थीं उन्होंने 4 सितंबर को मुकुल राॅय को संसदीय सलाहकार कमेटी से हटा दिया दिया।
भाजपा की स्थिति मजबूत
मुकुल राॅय के लगातार भाजपा नेता अरुण जेटली और कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात की खबरें भी आ रही थी। आखिरकार उन्होंने दिल्ली में भाजपा में शामिल होकर पार्टी की सदस्यता ले ली है। मुकुल राॅय के भाजपा में शामिल होने से पश्चिम बंगाल की राजनीति में उसकी पैठ बनाने की कोशिश को नई मजबूती मिलेगी क्योंकि संगठन और बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं पर राॅय की अच्छी पकड़ है। अब देखना है कि तृणमूल कांगे्रस के चाणक्य भाजपा के लिए क्या कमाल कर पाते हैं!