नई दिल्ली। दिल्ली से सटे गुरुग्राम के एक नामी अस्पताल से मरीजों से बेदर्द व्यवहार की खबर सामने आई है। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के द्वारा करीब 28 लाख के बिल बकाए के एवज में डिस्चार्ज हो चुके मरीज को छोड़ा नहीं जा हा है। मरीज के बेटे ने बिल चुकाने में अपनी असमर्थता जताते हुए अस्पताल को अपना कोई भी अंगदान कर बिल वसूलने का अनुरोध किया है। मरीज के बेटे ने मुख्यमंत्री और मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है। गौर करने वाली बात है कि दिल्ली के शालीमार बाग निवासी अमित सैनी ने दिल की बीमारी से ग्रसित अपने पिता को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया था और अब तक वह करीब साढ़े 10 लाख रुपये जमा कर चुका है।
गौरतलब है कि अमित सैनी ने अगस्त में अपने 62 वर्षीय पिता को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया था। डाॅक्टरों ने बताया कि उसके पिता की आरोटा नस फट गई है। इसके बाद उनका इलाज शुरू किया गया और इलाज के बाद उसे करीब 40 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया। अमित का कहना है कि उसने करीब साढ़े 10 लाख रुपये जमा कर चुका है लेकिन अस्पताल की ओर से बकाया राशि का भुगतान न करने के चलते उनके पिता को बंधक बनाया हुआ है जबकि 1 दिसंबर को ही उसके पिता को डिस्चार्ज कर दिया गया है।
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यहां बता दें कि अमित सैनी ने बताया कि वह बिल भरने में असमर्थ है। ऐसे में अब वह बकाया राशि जमा करने में असमर्थ है। अमित सैनी ने आरोप लगाए कि अस्पताल प्रशासन के सभी बड़े अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की गई। अस्पताल में वार्ड के बाहर उसके पिता के नाम के आगे डिस्चार्ज लिखा है लेकिन बिलिंग विभाग का कहना है कि जबतक बिल जमा नहीं किया जाएगा उसके पिता को छुट्टी नहीं दी जाएगी। अब अमित ने मुख्यमंत्री और मानवाधिकार आयोग से इस मामले को लेकर गुहार लगाई है।