लखनऊ। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने समाजवादी पार्टी सरकार के एक और फैसले को पलट दिया है। जी हां, योगी सरकार ने 4 हजार उर्दू शिक्षकों की भर्ती को निरस्त कर दिया है। बताया जा रहा है कि प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू विषय के छात्र नहीं होने की वजह से भर्ती को निरस्त किया गया है। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने बताया कि प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू विषय के करीब 87 हजार विद्यार्थी हैं जबकि उर्दू विषय के16 हजार से अधिक शिक्षक हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में शिक्षक और छात्र के अनुपात में भी काफी अंतर है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि छात्रों की तुलना में उर्दू विषय के अध्यापक पहले ही अधिक हैं। विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों की आवश्यकता नहीं होने के कारण 2016 में 4000 पदों के लिए निकाली गई शिक्षकों की भर्ती निरस्त कर दी है।
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यहां बता दें कि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में 2016 में 4000 उर्दू शिक्षकों की भर्ती निकाली गई थी। इसके बाद भाजपा की सरकार बनने के बाद मार्च 2017 में उनकी काउंसलिंग भी की गई थी। 23 मार्च 2017 को ही योगी सरकार ने सहायक अध्यापक और उर्दू विषय के अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। सरकार के द्वारा भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं करने से उर्दू के अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
गौर करने वाली बात है कि कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद 15 अप्रैल 2018 को प्रदेश सरकार को 2 महीने के अंदर शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश दिए गए थे। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से अभ्यर्थी इरशाद रब्बानी ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। इस पर सरकार को नोटिस दिया गया है।