नई दिल्ली । एक पुरानी कहावत थी कि पढ़ोगे लिखोगे बनोगे साहब...खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब, लेकिन अब ये गुजरे जमाने की कहावत हो गई है। आज के युवाओं ने इस कहावत को नए मायने देते हुए खेलोगे कूदोगे तो भी बनोगे साहब... में बदल दिया है। इस नई कहावत को चर्रितार्थ किया है अपनी 10वीं की पढ़ाई छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत करने वाले 15 साल के अनीश भानवाला ने । अनिश ने 21वें राष्ट्रमंडल खेलों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिता में नए रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता है।
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ऐसा करने वाले वह देश के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं। लेकिन अपनी 10वीं की परीक्षा छोड़कर खेलों के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने वाले अनीश को एक बार फिर से अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना होगा क्योंकि खेलों के चलते उनके जो तीन पेपर (हिंदी, मेथमेटिक्स और सोशल साइंस) नहीं दे पाए, अब वह राष्ट्रमंडल खेलों के बाद 16, 17 और 18 अप्रैल को अपने ये पेपर देंगे। हालांकि शेष पेपर वह ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले ही दे चुके थे। सीबीएसई ने विशेष तौर पर अनीश के लिए तीन पेपर राष्ट्रमंडल खेलों के बाद देने की व्यवस्था की है।
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बता दें कि स्वर्ण पदक जीतकर अनीश ने 16 बरस की निशानेबाज मनु भाकर का रिकार्ड तोड़ा। हालांकि इस उपलब्धि को पाने के लिए अनीश को काफी कुछ पीछे भी छोड़ना पड़ा है। इस बार अनीश 10वीं कक्षा के छात्र हैं लेकिन खेलों के मद्देनजर अपनी परीक्षा और खेल में से एक को चुनना था। हालांकि इस मामले में सीबीएसई ने भी उन्हें राहत दी।
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असल में अनीश के लिए उस समय मुश्किलें खड़ी हुईं, जब राष्ट्रमंडल खेलों से पहले नेशनल राइफल एसोसिएशन ने टीम की घोषणा की। वह 10वीं छात्र हैं. मार्च में वर्ल्ड चैंपियनशिप होनी थी। ऐसे में अगर वह इस प्रतियोगिता में भाग लेते तो अनके पेपर रह जाते। वह दुविधा में थे। अगर वह खेल को चुनते तो उनके तीन पेपर छूट जाते। हालांकि बाद में सीबीएसई ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए उन्हें तीन पेपर राष्ट्रमंडल खेलों के बाद देने की अनुमति दे दी।