नई दिल्ली । आने वाले समय में मुमकिन है कि आपके क्रिकेट मैच की कॉमेंट्री के दौरान दिग्गज सुनील गावस्कर की आवाज सुनाई न दे। हाल में बीसीसीआई ने अपने कॉमेंट्री पैनल के लिए जिन चार नामों को शॉर्ट लिस्ट किया है उसमें जहां मशहूर क्रिकेट विश्लेषक हर्षा भोगले का नाम तो हैं लेकिन सुनील गावस्कर का इस कॉमेंट्री पैनल में बना रहना अब मुश्किल होगा, क्योंकि उन पर हितों के टकराव का आरोप हैं। अब उन्हें बीसीसीआई के कॉमेंट्री पैनल में बने रहने के लिए अपनी कंपनी को छोड़ना पड़ेगा, नहीं तो उनके लिए पैनल में बने रहना नामुकमिन होगा। हालांकि बोर्ड ने सन्नी गावस्कर का विकल्प तैयार रखा है और उनकी जगह पूर्व मशहूर लेग स्पिनर एल शिवराम कृष्णन को रखा जा सकता है।
बता दें कि बीसीसीआई ने अपने कॉमेंट्री पैनल में सुनील गावस्कर, हर्षा भोगले और संजय मांजरेकर के अलावा मुरली कार्तिक को शामिल करने पर सहमति बनाई है। हालांकि चारों कमेंटेटरों को बोर्ड के साथ करार करने से पहले एक हलफनामा देना होगा कि वे लोढ़ा कमेटी के मुताबिक तय की गए हितों के टकराव के दायरे में नहीं आते हैं। ऐसे में अगर सन्नी गावस्कर बोर्ड को हितों के टकराव का हलफनामा देने में मना करते हैं और अपनी कंपनी के साथ ही जुड़े रहना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में बोर्ड को उनकी जगह किसी अन्य को कॉमेंट्री बोर्ड में लाना होगा। हालांकि बोर्ड ने शिवरमा कृष्णन को उनके विकल्प के रूप में रखा है।
असल में सुप्रीम कोर्ट की बनाई प्रशासकों की समिति यानी सीओए के सदस्य और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने पिछले दिनों अपने इस्तीफे में गावस्कर पर हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। गुहा ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि गावस्कर की कंपनी शिखर धवन समेत कुछ क्रिकेटरों का मैनेजमेंट देखती है। ऐसे में बतौर कमेंटेटर उनकी राय सेलेक्शन को प्रभावित कर सकती है और यह सीधे-सीधे हितों के टकराव का मामला है। हालांकि गावस्कर ने गुहा के उस आरोप को सिरे से नकार दिया था और दावा किया था कि उन्होंने कमेंटरी के दौरान कभी भी ऐसा कुछ भी कमेंट नहीं किया जो हितों के टकराव के दायरे में आता हो।