Tuesday, April 16, 2024

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पुरस्कार में 10 हजार रुपये दिए जाने पर राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी नेे जताई नाराजगी, कहा पुरुष खिलाड़ी को मिले थे 50 हजार रुपये हमें कम क्यों...

अंग्वाल संवाददाता
पुरस्कार में 10 हजार रुपये दिए जाने पर राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी नेे जताई नाराजगी, कहा पुरुष खिलाड़ी को मिले थे 50 हजार रुपये हमें कम क्यों...

नई दिल्ली। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने बीते दिनों एक बयान में कहा था कि जितना पैसा पुरुष क्रिकेटरों को दिए जाते हैं उसके मुकाबले में महिलाएं बहुत पीछे हैं, लेकिन इस मामले में केवल मिताली राज ही नहीं, जिन्होंने नराजगी जाहिर कर खिलाड़ी महिलाओं का दर्द जाहिर किया। हाल ही में कीरथ भंडाल और सुनिति दमानी क्यूइस्ट ( बिलियड्रस और स्नूकर ) राष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ियों ने भी पुरुषों के मुकाबले पांच गुना कम पैसे मिलने पर नराजगी जताई है। बता दें कि करीथ ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय चैंपयिनशिप जीती थी। उन्हें यह चैंपनियशिप जीतने के लिए इनाम में सिर्फ 5,000 रुपये पुरस्कार में मिले थे। 

उचित सम्मान नहीं

कीरथ भंडाल ने वर्ष 2007 में सिर्फ दस साल की उम्र में विश्व चैंपियनशिप से खेल की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने कहा, देश के लिए इतने सालों से खेलने के बाद भी अपना खर्चा खुद उठाना पड़ता है। मैंने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती थी और मुझे सिर्फ पुरस्कार में 5,000 इनाम में दिए गए। इसकी बात तक करने में शर्म आती है। 

बराबर का हक मिलें


कीरथ ने बिलियड्रस और स्नूकर दोनों में राष्ट्रीय खिताब जीतने के बाद भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले बराबर पैसा और सम्मान मिलना चाहिए। कीरथ ने कहा राष्ट्रीय चैंपियन बनने पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को पांच गुना कम धनराशि का भुगतान अपमानजनक है। यह सोचकर भी अजीब लगता है कि राष्ट्रीय चैंपियन को इतने कम पैसे मिलते हैं। कीरथ ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष सीनियर बिलियड्रस का खिताब जीतने पर 10,000 रुपये इनाम राशि मिले थे। वहीं उनके साथ पुरुष वर्ग के विजेता को 50,000 रुपये का राशि पुरस्कार मिला था।

नजरअंदाज करना है गलत 

इसी क्रम में वर्ष 2012 में राष्ट्रीय पूल खिताब जीतने वाली सुनिति दमानी ने भी कई विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की उपलब्धियों को नजरअंदाज किया जाता है। भेदभाव हर जगह है, चाहे वह पुरस्कार राशि हो या नौकरी प्रायोजन की बात। पुरुष खिलाड़ियों के पास अच्छी नौकरी है जबकि महिलाओं के पास नहीं।

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