नई दिल्ली । भारत के दो पहलवान एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। ये पहलवान कोई कुश्ती करने नहीं जा रहे पर नुराकुश्ती के लिए दोनों एक बार फिर तैयार हो गए हैं। पिछले साल ओलंपिक से पहले नरसिंह और सुशील अदालती जंग में फंस गए थे। अब मामला गर्माया है पहलवान सुशील कुमार को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाने पर। पहलवान नरसिंह यादव ने सुशील को पर्यवेक्षक बनाने जाने का विरोध किया है। इतना ही नहीं नरसिंह ने इस मुद्दे को लेकर खेल मंत्रालय को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होने इस मामले में हितों के टकराव का आरोप लगाया है। नरसिंह ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सुशील को कैसे पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा सकता है जबकि रियो ओलंपिक से पहले उनपर गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे । हालांकि नरसिंह डोपिंग के आरोपों के चलते 4 साल के लिए निलंबित हैं।
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बता दें कि पिछले साल ओलंपिक के दौरान पुरुषों के 74 किग्रा भार वर्ग में सुशील ओलंपिक क्वालिफायर्स में भाग नहीं ले पाए थे। ऐसे में नरसिंह यादव ने भारत के लिए कोटा स्थान हासिल किया था । उस दौरान डब्ल्यूएफआई ने देनों भारतीय पहलवानों के बीच ट्रायल कराने का वादा किया था लेकिन बाद में वह अपनी इस बात से मुकर गया । ऐसी सूरत में पहलवान सुशील कुमार अदालत कि शरण में चले गए थे। ऐसी सूरत में डब्ल्यूएफआई ने नरसिंह को ओलंपिक के लिए चुना था क्योंकि उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर कोटा हासिल किया था। इससे इतर सुशील की ट्रायल की मांग को महासंघ और दिल्ली हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दी थी। हालांकि नरसिंह हालांकि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ( नाडा ) द्वारा रियो ओलंपिक से दस दिन पहले कराए गए डोप परीक्षण में नाकाम रहे ।
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अब एक बार फिर दोनों पहलवान आमने-सामने आ गए हैं। नरसिंह ने पिछले दिनों खेल मंत्रालय को एक पत्र लिखकर सुशील कुमार को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बनाए जाने पर सवाल उठाए। भारतीय कुश्ती संघ का कहना है कि नरसिंह ने पत्र लिखकर सुशील की नियुक्त पर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। नससिंह का कहना है कि वह छत्रसाल स्टेडियम अखाड़े में पहलवानों को तैयार कराने का काम कर रहे हैं। यह अखाड़ा उसके ससुर और कोच सतपाल चलाते हैं । ऐसे में वह छत्रसाल स्टेडियम के खिलाड़ियों का पक्ष ले सकते हैं। ऐसे में उन्हें राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त करना हितों का टकराव है ।
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