नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट से सपा-बसपा के गठबंधन ने अपने पूर्व में घोषित प्रत्याशी शालिनी यादव को बदलते हुए इस सीट से अब बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया है । लेकिन नरेंद्र मोदी के खिलाफ सपा बसपा गठबंधन का यह दांव फेल होता नजर आ रहा है । असल में सपा ने जिस तेज बहादुर यादव को चुनावी मैदान में उतारा है, उन्होंने अपने दो दाखिल हलफनामों में अपनी बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग-अलग जानकारी पेश की हैं। इस पर चुनाव आयोग में उन्हें कुछ देर बाद जवाब देना है, जिसके बाद ही तय हो पाएगा कि उनकी उम्मीदवारी बरकरार रहेगी या उनका नामांकन में अपनी बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग अलग जानकारी देने पर उनका नामांकन ही रद्द कर दिया जाएगा ।
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बता दें कि बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने 24 अप्रैल को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर यूपी की वाराणसी सीट से नामांकन दाखिल किया था । उस दौरान उन्होंने अपने हलफनामें में लिखा था कि भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया । इसके बाद 29 अप्रैल को एक बार फिर से तेज बहादुर यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर दोबारा नामांकन करने पहुंचे और उन्होंने एक बार फिर से अपनी बर्खास्तगी को लेकर हलफनामा दायर किया , लेकिन इस बार उन्होंने इस जानकारी को छिपा दिया था ।
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नामांकन के बाद जब वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर ने तेज बहादुर यादव के हमलनामों को जांचा तो पाया कि उन्होंने दोनों हलफनामों में एक तथ्य को लेकर दो अलग अलग जानकारी दी थीं। इस पर तेज बहादुर यादव से आज दोपहर दोबारा से सफाई मांगी गई है । अगर, निर्वाचन अधिकारी तेज बहादुर के जवाब से संतुष्ट नहीं होता है तो उनकी उम्मीदवारी रद्द की जा सकती है। निर्वाचन अधिकारी ने खुद इस बात का जिक्र तेज बहादुर को भेजे गए नोटिस में किया हैनिर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर को भेजे अपने नोटिस में लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति जो राज्य या केंद्र सरकार से भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया हो या सरकार के प्रति उसकी बगावत देखी गई हो तो उसे बर्खास्तगी की तारीख से 5 साल तक चुनाव लड़ने कें लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।