लखनऊ । लोकसभा चुनावों के मद्देनजर एक बार फिर से उत्तर प्रदेश सरकार में बदलाव के संकेत मिले हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ दौरे के बाद संभावना है कि जल्द ही योगी सरकार अपने मंत्रीमंडल में विस्तार कर सकती है। इसके साथ ही कई मंत्रियों का कद भी बढ़ाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस समय योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 13 पद खाली है। ऐसे में 8 से 10 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। वहीं जहां खराब रिपोर्ट कार्ड वाले मंत्रियों की सरकार से छुट्टी हो सकती है, वहीं कुछ मंत्रियों को लाभ भी मिल सकता है।
दलित-गुर्जर और पश्चिम क्षेत्र की नुमाइंदगी
सूत्र का कहना है कि योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की सूरत में इस बार दलित-गुर्जर और पश्चिम क्षेत्र की नुमाइंदगी पर जोर हो सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए सरकार एक बार फिर से जातिगत समीकरण साधने की कोशिश भी कर सकती है। इस समय योगी सरकार में जहां कोई गुर्जर नेता मंत्रिमंडल में नहीं है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी सरकार में नुमाइंदगी काफी कम है।
स्वतंत्र प्रभार वालों को कैबिनेट का दर्जा
इस सब के साथ जहां कुछ मंत्रियों का कद बढ़ने की संभावना है वहीं खराब प्रदर्शन करने वाले कुछ मंत्रियों पर गाज भी गिर सकती है। जानकारी के मुताबिक, इस समय उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और सुरेश खन्ना पार्टी और कार्यकर्ताओँ के बीच सबसे लोकप्रिय नेता हैं। इसी क्रम में बृजेश पाठक , सुरेश राणा , स्वतंत्र देव सिंह औस महेंद्र सिंह जैसे मंत्री अपने प्रशंसकों और लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। इनके काम को भी सराहा जा रहा है। अब ऐसे में संकेत मिले हैं कि योगी सरकार अपने ऐसे स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों को कैबिनेट का दर्जा दे सकते हैं। वहीं खराब काम करने वाले मंत्रियों पर या तो गाज गिरेगी या उनके विभाग में छंटनी होगी।
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इन नेताओं पर है खास नजर
इस सब के बीच खबर है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह के साथ ही अपना दल के अध्यक्ष आशीष पटेल और पश्चिमी यूपी के दलित और गुर्जर नेताओं को मंत्रिमंडल विस्तार के मौके पर मंत्रियों की सूची में जगह दी जा सकती है।