लखनऊ। उत्तरप्रदेश में ऐतिहासिक धरोहरों से जुड़ा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ताज पर उठे विवाद के बाद अब रोहिल्ला राजवंश द्वारा तैयार किए गए सहारनपुर जेल को लेकर विवाद हो गया है। आर्किलोजिकल सर्वे आॅफ इंडिया (एएसआई) ने सहारनपुर जेल के अधीक्षक को नोटिस भेजकर इसे ऐतिहासिक धरोहर बताते हुए खाली करने का नोटिस भेजा है। बता दें कि इस जेल में फिलहाल उसकी क्षमता 530 के मुकाबले करीब 1100 कैदी बंद हैं।
कैदियों को कहां ले जाएं
गौरतलब है कि रोहिल्ला राजवंश ने सहारनपुर जेल का निर्माण करवाया था। इस जेल में बाल सुधारगृह के अलावा महिला जेल भी मौजूद है। अब आर्किलाॅजिकल सर्वे आॅफ इंडिया की तरफ से जेल को खाली करने के नोटिस के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। उनके सामने बड़ी समस्या यह है कि यहां बंद कैदियों को कहां ले जाएं। जेल सुपरिन्टेंडेंट ने शासन को पत्र लिखकर इसके बारे में जानकारी दी और उनसे दिशा-निर्देश भी मांगे हैं।
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किले को जेल में बदला
आपको बता दें कि सहारनपुर जेल में करीब 530 कैदियों को रखने की व्यवस्था है लेकिन फिलहाल वहां हजार से ज्यादा कैदियों को बंद रखा गया है। मौजूदा सहारनपुर जेल कभी रोहिल्ला राजवंश का किला था लेकिन 1868 में इस महल को जेल में तब्दील कर दिया गया। उस वक्त जेल की क्षमता 232 कैदियों की थी। वर्ष 1920 में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस जेल को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया था लेकिन इसके बाद भी सरकार ने इस फैसले को दरकिनार करते हुए यहां निर्माण कार्य कर इसकी क्षमता को 405 कैदियों के रहने लायक बना दिया।
जेल में निर्माण पर रोक
आपको बता दें कि साल 2014 में एएसआई ने जेल के कुछ हिस्सों में खुदाई की तो उन्हें रोहिल्ला राजवंश की कुछ चीजें मिलीं, यहां तक की जेल की गेट में लगे पत्थरों पर राजवंश के बारे में जानकारियां लिखी हुई हैं। इसके बाद एएसआई ने जेल में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी है। अब पुरातत्व विभाग ने सीनियर जेल सुपरीटेंडेंट को नोटिस भेजकर जेल कैंपस को पुरातात्विक धरोहर बताते हुए इसे जल्द से जल्द खाली करने का निर्देश दिया। डीआईजी जेल मेरठ रेंज शाशि शर्मा ने शासन को पत्र लिखकर जिला जेल की इमारत दूसरी जगह बनवाने की इजाजत मांगी है।