पटना। बिहार सरकार ने राज्य के सभी प्रमुख सचिवों और पुलिस अधिकारियों के लिए नया फरमान जारी किया है। केंद्रीय कैबिनेट और कर्नाटक के बाद अब बिहार सरकार ने बैठकों के दौरान अधिकारियों के मोबाइल ले जाने पर रोक लगा दी है। सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने इसके आदेश जारी किए हैं। आदेश में कहा गया है, ‘‘यह बार-बार देखने को मिलता है कि समय-समय पर अधिकारी अपने मोबाइल फोन पर व्यस्त होते हैं, जो बैठकों के सुचारू रूप से संचालन में बाधा उत्पन्न करता है।’’
गौरतलब है कि आदेश सिर्फ अधिकारियों के लिए ही नहीं बल्कि उच्चस्तरीय बैठकों में मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्रियों, मुख्य सचिव, विकास आयुक्तों के भी मोबाइल फोन ले जाने को प्रतिबंधित कर दिया गया है। खबरों के अनुसार बैठक में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा के दौरान मोबाइल के बजने से लोगों को ध्यान मुद्दे से हट जाता है।
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यहां बता दें कि अधिकारी का कहना है कि कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि मीटिंग के दौरान व्हाट्सएप पर संदेश भेजते रहते हैं। बता दंे कि साल 2017 में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था जब राज्य के पुलिस मुख्यालय में एक समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व डीजीपी पीके ठाकुर पुलिस अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे और उधर अधिकारी मोबाइल में गेम खेलने और इंटरनेट चलाने में व्यस्त थे। अधिकारियों की इन्हीं लापरवाहियों को देखते हुए मोबाइल फोन को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
गौर करने वाली बात है कि पीएमओ के द्वारा भी साल 2016 में साइबर सुरक्षा के मद्देनजर कैबिनेट की बैठकों में मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पीछे संवेदनशील जानकारी लीक न होने देना भी एक मकसद था। कर्नाटक की एचडी कुमारस्वामी सरकार ने भी सभी अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों को निर्देश दिया था कि वे बैठकों के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें ताकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के दौरान किसी का भी ध्यान विचलित न हो।