लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी आदित्नाथ सरकार सुशासन के लिए काफी सक्रियता से काम करती नजर आ रही है। हालांकि इस बीच उनके कुछ फैसलों से कुछ लोगों को जहां परेशानी हो रही है वहीं बड़ी संख्या में लोग उनके फैसलों के समर्थन में खड़े नजर आ रहे है। योगी सरकार का नया फरमान आया है सरकारी शिक्षकों के खिलाफ। अब योगी सरकार ने आदेश दिए हैं कि सरकारी स्कूल-कॉलेजों में बच्चों को पढ़ाने में कोताही बरतने वाले और कोचिंग चलाने वाले सरकारी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा। वहीं नकल पर लगाम कसने के लिए उन्होंने ऐसे परीक्षा केंद्रों की सूची बनाने के लिए कहा है और साथ ही ऐसे परीक्षा केंद्रों को ब्लैक लिस्ट करने के लिए कहा है, जहां नकल में मामले उजागर होते रहे हैं। इतना ही नहीं ऐसे केंद्रों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज करवाई जाएगी।
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सरकारी शिक्षकों के लिए बनी नीति
बता दें कि मोदी सरकार ने सभी विभागों के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में सोमवार को शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ सीएम योगी की बैठक शुरू हुई जो देर रात 1.30 बजे तक चली। इस दौरान शिक्षा विभाग के अफसरों को जहां कई तरह के निर्देश दिए गए, वहीं सरकारी शिक्षकों पर भी कुछ बंदिश लगाई गई। सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि जो सरकारी शिक्षक कोचिंग सेंटर चलाते पाए गए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।
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स्कूलों के लिए बनाए कुछ नियम
वहीं शिक्षा व्यवस्था का स्तर सुधारने के लिए विद्यालयों के लिए भी कुछ नियम बनाए गए। इसके तहत जल्द ही सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और छात्रों की नियमित उपस्थिति की निगरानी बायोमीटिक प्रणाली के जरिए की जाएगी। इसके साथ ही विद्यालयों में हर हाल में अधिकतम 200 दिनों में कोर्स पूरा कराने के लिए कहा गया है। इस दौरान सीएम योगी ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अगले 100 दिनों में बदलाव दिखाई देने की बात कही। इन अधिकारियों से कहा गया कि स्कूल में 15 दिनों में परीक्षाएं करवाकर 15 दिन बाद परिणाम देने की संभावनाओं पर भी काम करने के लिए कहा।
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स्कूल-दफ्तरों में नहीं दिखे गंदगी
इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्कूल और उनके ऑफिस में गंदगी नहीं दिखनी चाहिए। स्कूलों में पूरी तरह सफाई रहे और इन आदेशों का कड़ाई से पालन हो। साथ ही उन्होंने स्कूलों के उन शिक्षकों पर भी लगाम लगाने की बात कही जो स्कूलों में आए बिना सैलरी लेते हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्कूल में पढ़ाई के समय में कोई भी शिक्षक जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारियों के दफ्तर में घूमते हुए न पाए जाएं।
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