नई दिल्ली। दिल्ली में बेटियों का हौंसला रंग लाया है और इस वजह से दिल्ली सरकार को स्कूलों के विलयन के फैसले को वापस लेना पड़ा है। बता दें कि सरकार ने पुरानी दिल्ली के कई स्कूलों को विलय कर एक करने के आदेश दिए थे इससे पुरानी दिल्ली इलाके के करीब 1766 बच्चे प्रभावित हो रहे थे और इसमें से 1536 लड़कियां हैं। इन लड़कियों ने सरकार के इस फैसले का जबर्दस्त विरोध किया था और इसमें उनके घरवालों ने भी उनका साथ दिया था। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया स्कूलों ने आदेश जारी कर समायोजन के आदेश को वापस लेने की बात कही।
इन स्कूलों का होना था समायोजन
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने 7 जुलाई को पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद गवर्नमेंट ब्याॅज सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल के अलावा लाल कुआं, पनामा बिल्डिंग,देव नगर, बेला रोड सर्वोदय कन्या विद्यालय और हवेली आजम खां का गवर्नमेंट गल्र्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल को एक साथ मर्ज करने का फैसला लिया था। स्कूलों के विलयन का छात्राओं ने जमकर विरोध किया।
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सरकार ने वापस लिए फैसले
आपको बता दें कि पुरानी दिल्ली के इन इलाकों में कई ऐसे परिवार भी रहते हैं जो आर्थिक तौर पर काफी कमजोर हैं। ऐसे में कई बच्चे सुबह के समय अन्य घरों में कामकर दोपहर की पाली (शिफ्ट) में स्कूल जाती हैं। स्कूलों का मर्जर होने के बाद अगर स्कूल शुरू होने का समय सुबह का कर दिया जाता तो कई छात्राओं को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ सकती थी। यहां यह भी बता दें कि सरकार ने जिन स्कूलों के मर्जर का फैसला लिया था उसमें से हवेली आजम खां का गवर्नमेंट गल्र्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल वहां का परिणाम अक्सर 100 फीसदी रहता है और इसके लिए स्कूल को इंदिरा अवार्ड भी मिल चुका है। छात्राओं के विरोध को देखते हुए दिल्ली सरकार को झुकना पड़ा और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को समायोजन के आदेश को वापस लेने के आदेश जारी करने पड़े।