बेंगलुरू।
एक तरफ जहां केंद्र सरकार एक देश का राग अलाप रही है, वहीं कर्नाटक की कांग्रेस सरकार राज्य का एक अलग झंडा तैयार करने की कोशिश में जुटी है। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने इस झंडे की डिजाइन के लिए एक 9 सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया है। जो झंडे की मांग को लेकर कानूनी पहलू पर विचार करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
दरअसल, कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस की कोशिश है कि राज्य के अलग ध्वज के मुद्दे को हवा देकर वह कर्नाटक में अपना जनाधार मजबूत करे। अगर राज्य सरकार की यह मांग पूरी हो जाती है, तो कर्नाटक ज्म्मू कश्मीर के बाद अपना अलग झंडा रखने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगी। अभी संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू—कश्मीर को अलग झंडा रखने का अधिकार है।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब कर्नाटक में अलग झंडा रखने की बात उठी हो। इसके पहले 2012 में राज्य विधानसभा में यह मुद्दा उठा था, उस समय राज्य में भाजपा की सरकार थी और भाजपा ने अलग झंडे को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताते हुए इस मांग को खारिज कर दिया था। उस समय तत्कालीन संस्कृति मंत्री गोविंद एम करजोल ने कहा था कि फ्लैग कोड राज्यों के लिए अलग झंडे की अनुमति नहीं देता है। अगर राज्य अपना अलग झंडा रखेंगे तो इससे राष्ट्रीय झंडे का महत्व कम हो जाएगा।
क्या है फ्लैग कोड
फ्लैग कोड भारत की ध्वज संहिता राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, प्रथाओं और सम्मेलनों का एक समूह है। फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002, को तीन भागों में बांटा गया है। कोड के भाग एक में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है। दूसरे भाग में सार्वजनिक, निजी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के नियम हैं, जबकि तीसरे भाग में केंद्रीय और राज्य सरकारों और उनके संगठनों और एजेंसियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करने के नियम-अनुशासन हैं।