पटना । अमूमन आपने सुना होगा की गंभीर मामले की सुनवाई के बाद जज ने आतंकवाद व अन्य किसी अपराध में दोषी करार दिए गए व्यक्ति को मौत की सजा सुना दी, लेकिन बिहार में नक्सलियों की एक अदालत ने एक जज को ही मौत की सजा सुना डाली। मामला मुंगेर से जुड़ा है, जहां के अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव के एक फैसले के विरोध में नक्सलियों ने अपनी ही एक अदालत लगाकर उक्त जज को मौत की सजा सुना डाली। नक्लसियों के खिलाफ दिए गए फैसले के बाद नक्सलियों के इस रुख के मद्देनजर जज ज्योति स्वरूप की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
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चलिए बताते हैं आखिर पूरा मामला क्या है। असल में मुंगेर के अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रथम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने एक मामले की सुनवाई करते हुए 5 नक्सलियों को फांसी की सजा सुनाई थी। अपने लोगों को फांसी की सजा सुनाए जानेक विरोध में इलाके के नक्सलियों ने अपनी ही एक अदालत लगा डाली। इतना ही नहीं इस अदालत में उल्टा जज के लिए मौत की सजा का ऐलान कर दिया गया। बिहार-झारखंड सीमांत जोनल कमेटी भाकपा माओवादी के प्रवक्ता लालजीत कोड़ा ने एक बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी है।
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अपना फैसला सुनाने के साथ ही माओवादी संगठन ने दो दिन बंद का ऐलान किया है। इस सब के मद्देनजर इलाके में पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है। नक्सल प्रभावित इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही अगले दो दिन नक्सल प्रभावित पांच जिलों में बंद का ऐलान किया गया है, जिसमें बांका, भागलपुर, मुगेंर, लखीसराय और जमुई शामिल हैं।
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बता दें कि जज श्रीवास्तव ने जिन पांच लोगों को मौत की सजा सुनाई है, उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में बारुदी सुरंग विस्फोट किया था, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए थे, जबकि करीब 10 जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे।
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