मुंबई । मुंबई में 175 विधायकों के रहने को लेकर खासी जद्दोजहद चल रही है। विधानसभा के नजदीक मौजूद सरकारी मनोरमा इमारत में रहने वाले इन विधायकों के घर इन दिनों जर्जर स्थिति में हैं। उसके स्लैब और प्लास्टर आए दिन गिर रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से इन विधायकों को इमारत खाली करने के लिए नोटिस दे दिया गया है, ताकि इस इमारत का पुनर्निर्माण कराया जा सके, लेकिन इस सब में एक बड़ी बाधा आ रही है। असल में सरकार या इन विधायकों को कोई भवन मालिक अपने फ्लैट किराये पर देने को राजी नहीं है। सरकार ने दक्षिण और मध्य मुंबई में 175 विधायकों के लिए फ्लैट किराये पर लेने के लिए विज्ञापन आखबारों में दिए, लेकिन कोई इन्हें फ्लैट देने को राजी नहीं है। अब ऐसे में सरकार एक बार फिर इस इमारत के पुनर्निर्माण की अपनी योजना को टाल सकती है।
असल में महाराष्ट्र विधानसभा के निकट मौजूद सरकारी इमारत मनोरमा में रह रहे 175 विधायक इन दिनों परेशान हैं। सरकार ने इस इमारत को गिराकर यहां 250 विधायकों के रहने के लिए इस जर्जर इमारत को गिराकर यहां पुनर्निर्माण कराने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इस काम के लिए सरकार ने एक सलाहकार कंपनी की नियुक्ति भी कर दी है। लेकिन अब यह काम लटकता दिख रहा है, क्योंकि पूरी मुंबई में इन विधायकों को कोई फ्लैट मालिक अपना मकान देने को तैयार ही नहीं है। TOI की खबर के मुताबिक, राज्य विधानसभा के प्रमुख सचिव अनंत कालसे ने कहा- हमें दक्षिण और मध्य मुंबई में 175 विधायकों के लिए फ्लैट किराए पर चाहिए। इसके लिए हमने कई आखबारों में विज्ञापन दिए थे। लेकिन अभी तक कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है। इधर हम विधायकों को फ्लैट खाली करने के लिए पहले ही नोटिस थमा चुके हैं।
वहीं इस मामले में एक अधिकारी ने बताया कि विधायक दादर इलाके तक One BHK फ्लैट में रहने की मांग कर रहे हैं, जिसका एरिया 450 से 500 स्क्वेयर फीट तक हो। हालांकि इन क्षेत्रों में विधायकों की मांग के अनुसार फ्लैट नहीं मिल पा रहे हैं। स्थानीय लोग या फ्लैट मालिक अपने मकान सरकार या विधायकों को देने को तैयार ही नहीं हैं। अब ऐसी स्थिति में विधायकों पर मुंबई में अपना सिर छिपाने के लिए जद्दोजहद चल रही है।
इस सब के बीच सरकार की पशोपेश की स्थिति में है। अगर इनती संख्या में विधायकों को फ्लैट नहीं मिलते तो उनके रहने का प्रबंध करना भी सरकार का ही काम है। वहीं जर्जर हो चुकी इस इमारत में इन विधायकों को ठहराना भी अब खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में सरकार को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वह इस समस्या का हल कैसे निकाले, क्योंकि इमारत के निर्माण में अच्छा खासा समय लगेगा।