देहरादून। राज्य के बहुचर्चित टैक्सी बिल घोटाले की तीसरी जांच में स्वास्थ्य विभाग के 12 अधिकारियों को दोषी पाया गया है। इन 12 में से 10 अधिकारियों से सरकार के द्वारा 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इनके जवाब मिलने क बाद इनपर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में 2008 से लेकर 2013 के बीच हुए टैक्सी बिल घोटाले की जांच 2 महीने पूर्व अपर सचिव वित्त अरुणेंद्र चौहान को सौंपी गई थी। इस मामले में पहले ही दो जांच की जा चुकी है लेकिन कार्रवाई से पहले तीसरी विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए थे। पूर्व अपर वित्त सचिव अरुणेंद्र चौहान ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी है।
नहीं हुई कार्रवाई
गौरतलब है कि पूर्व अपर सचिव की रिपोर्ट में विभाग के 12 अफसरों को दोषी पाया गया है। इनमें से 2 की मृत्यू भी हो चुकी है। ऐसे में बचे हुए 10 अफसरों को सरकार ने स्पष्टीकरण देने को कहा है। यहां गौर करने वाली बात है कि टैक्सी बिल घोटाले की जांच में दोषी पाए गए अधिकांश सीएमओ, सीएमएस स्तर के डॉक्टर निदेशक और अपर निदेशक स्तर के पदों पर काम करने के बाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन इस मामले में एक के बाद एक कई जांच कराए जाने की वजह से अभी तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
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इनसे मांगा जवाब
डॉ. आरएस असवाल, डॉ. जीसी बौंठियाल, डॉ. मीनू राणा, डॉ. आरके पंत, डॉ. वाईएस राणा, डॉ. एसपी अग्रवाल, डॉ. राकेश कुमार सिन्हा, डॉ. बीके गैरोला, डॉ. दीपा शर्मा और डॉ. सुरेंद्र सकलानी।
सचिवालय प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई
बता दें कि टैक्सी बिल घोटाले की पहले हुई जांच में दो पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के पांच निजी सचिवों को भी दोषी पाया गया था। सचिवालय प्रशासन को दोषियों की जांच कर कार्रवाई करनी थी लेकिन उसकी तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। हालांकि सचिव सचिवालय प्रशासन हरबंस चुग ने बताया कि इस मामले की जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।