देहरादून। उत्तराखंड में 100 से कम छात्रों वाले सरकारी डिग्री काॅलेजों को बंद किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्रालय ने ऐसे काॅलेजों को बंद करने के निर्देश दिए हैं। इससे पिछली सरकार द्वारा प्रदेश में बनाए गए 30 डिग्री काॅलेजों पर भी बंदी की तलवार लटक गई है। बता दें कि इन सभी काॅलेजों में छात्रों की संख्या काफी कम है। राज्य में नए काॅलेजों के खुलने से सरकार पर भी आर्थिक बोझ बढ़ गया है।
आर्थिक बोझ बढ़ा
गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद पिछली सरकार के कई फैसलों को पलट दिया था। अब एक नए फैसले के तहत त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने हरीश रावत सरकार द्वारा खोले गए काॅलेजों को बंद करने का निर्णय लिया है। यहां बता दें कि पिछली सरकार ने तीन सालों में एक के बाद एक ताबड़तोड़ 30 डिग्री काॅलेज की स्थापना कर दी जिससे राज्य में काॅलेजों की संख्या 70 से 100 पहुंच गई थी। नए काॅलेजों के बनने से सरकार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ गया।
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शिक्षा की गुणवत्ता पर असर
आपको बता दें कि नई सरकार इस अतिरिक्त बोझ को कम करने और काॅलेजों में छात्रों की कम तादाद को देखते हुए उन्हें बंद करने का फैसला लिया है। उच्च शिक्षा मंत्रालय ने 100 से कम छात्र संख्या वाले काॅलेजों को बंद करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने बीते दिनों शासन और महकमे के आला अधिकारियों के साथ बैठक की थी जिसमें सरकार के ऊपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करने पर भी विचार किया गया था। उच्च शिक्षा मंत्री डाॅक्टर धन सिंह रावत ने कहा कि छात्रों की कम संख्या की वजह से पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। डॉ रावत का कहना है कि कम छात्रसंख्या वाले कॉलेजों का संचालन बंद होने की स्थिति में पहले से नजदीकी क्षेत्रों में संचालित कॉलेजों की दशा में सुधार किया जाएगा। यही नहीं उन्होंने हरिद्वार में ज्यादा आबादी को देखते हुए वहां नए कॉलेजों की स्थापना की संभावना का पता लगाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं।