देहरादून। उत्तराखंड की धरती के नीचे सालों से दबे जिंदा मिसाइलों को गुरुवार को निष्क्रिय किया जाएगा। बताया जा रहा है कि मिसाइलों को डिस्पोज करने के लिए लखनऊ से सेना की एक टीम पहुंच गई है। मिसाइलों को डिस्पोज करने से पहले अधिकारियों ने सुरक्षा को लेकर एक बड़ी बैठक कर योजना बनाई है। एसपी डॉक्टर जगदीश चंद्र ने बताया कि कैप्टन विकास कुमार के नेतृत्व में लखनऊ से सेना के 6 सदस्यों की टीम पतरामपुर चौकी पहुंच गई है। मिसाइलों को डिस्पोज करने के यंत्र पतरामपुर चौकी में रखकर टीम आर्मी के हेमपुर डिपो में चली गई है।
गौरतलब है कि साल 2004 में दिल्ली के तुगलकाबाद से 16 कंटेनरों में खाड़ी युद्ध के स्क्रैप को गलाने के लिए काशीपुर एसडी स्टील फैक्ट्री में लाया गया था। इस स्क्रैप में 556 मिसाइलें थी। दिसंबर में इन मिसाइलों को गलाने का काम प्रारंभ किया गया तो अचानक ही विस्फोट हो गया और इसमें एक श्रमिक की मौत होने के साथ फैक्ट्री की दीवार भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी।
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यहां बता दें कि इस मामले को शासन की ओर से गंभीरता से लेते हुए बची हुई 555 जिंदा मिसाइलों को पतरामपुर पुलिस चैकी परिसर, जसपुर में दफन करा दिया था। मिसाइलों की सुरक्षा के लिए वहां पर गारद तैनात कर दी गई। अब इस इलाके के लोगों की चिंता के बाद शासन को एक बार फिर से इसकी याद आई है और जून में ही सरकार की ओर से लिखे पत्र पर कार्रवाई करते हुए हेड क्वार्टर सेंट्रल कमांड लखनऊ से एक बम डिस्पोजल टीम यहां भेजी गई। टीम की रिपोर्ट के बाद इन मिसाइलों को डिस्पोज करने का फैसला लिया है। इसे निष्क्रिय करने के लिए पतरामपुर जंगल और फीका नदी के किनारे निर्जन स्थान का भी मुआयना किया गया है।