देहरादून। राज्य के सबसे बड़े वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र गंगोत्री नेशनल पार्क के जीवों की सुरक्षा के लिए सेना की मदद ली जाएगी। इसके लिए आईटीबीपी और पार्क प्रशासन के बीच सहमति बन गई है। बता दें कि गंगोत्री नेशनल पार्क को हिम तेंदुआ का सबसे बड़ा पनाहगाह माना जाता है। ऐसे में सेना द्वारा सुरक्षा का जिम्मा लेने से वन्यजीवों की तस्करी और अवैध शिकार पर भी रोक लगेगी।
सेना ने दी सहमति
गौरतलब है कि गंगोत्री नेशनल पार्क एक बड़े रकबे में फैला हुआ है और इसके तिब्बत सीमा से सटे होने के कारण भौगोलिक लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब यहां के वन्यजीव सुरक्षा में सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की मदद ली जाएगी। सेना, आईटीबीपी और वन विभाग के आला अफसरों की उच्च स्तरीय बैठक में इस पर सहमति बनी है। यही नहीं, वन्यजीव संरक्षण के मद्देनजर वन महकमे की टीम भारत-तिब्बत सीमा पर सेना और आईटीबीपी की चेकपोस्टों में जाकर प्रस्तुतीकरण भी देगी।
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हिम तेंदुआ का घर
आपको बता दें कि करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले गंगोत्री नेशनल पार्क में बड़ी मात्रा में हिम तेंदुआ रहते हैं और बड़ी मात्रा में तस्करी की जाती है एवं उसका शिकार भी किया जाता है। इसे रोकने के लिए आईटीबीपी और सेना की मदद ली जाएगी। हाल में इस क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बढ़ी तादाद और कैमरा ट्रैप में इनके झुंड भरल, घुरल (हिरन की प्रजातियां) के पीछे भागने की फोटो कैद हुई हैं। इसके अलावा जगह-जगह लगाए गए कैमरा ट्रैप गायब होने से इस हिमालयी क्षेत्र में शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका जताई गई। इस सबको देखते हुए वन महकमे ने वन्यजीव सुरक्षा और संरक्षण में सीमा पर तैनात सेना और आइटीबीपी की मदद लेने का निश्चय किया। इस कड़ी में उत्तरकाशी में उच्च स्तरीय बैठक हुई है।