देहरादून। उत्तराखंड के लोगों को अब अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। राज्य में जल्द ही आयुष्मान योजना लागू की जाएगी। इसमें राज्य के सभी लोगों को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य कवर दिया जाएगा। इस योजना के लागू होने से करीब 27 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। योजना ट्रस्ट मोड में थर्ड पार्टी एडमिनिसट्रेटर (टी.पी.ए.) पर होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सचिवालय में आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना की बैठक में कहा कि राज्य के नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। इसके साथ ही राज्य में पहले से चल रहे मुख्यमंत्री बीमा योजना और यू हेल्थ कार्ड योजना को इसी में समाहित कर लिया जाएगा।
गौरतलब है कि सीएम ने कहा कि राज्य के नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य की बदौलत ही राज्य का विकास संभव है। उन्होंने अधिकारियों से उत्तराखण्ड में आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन का फुलप्रूफ प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। पर्वतीय क्षेत्रों में संचालित अस्पतालों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्राविधान के भी निर्देश दिए गए।
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यहां बता दें कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना की रूपरेखा तैयार करने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया कि आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना से राज्य के सभी परिवारों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके अंतर्गत लगभग 27 लाख परिवार आएंगे। योजना को इन्श्योरेंस मोड़ की बजाय ट्रस्ट मोड पर लागू किया जाएगा। क्लेम प्रोसेसिंग के लिए थर्ड पार्टी एडमिनिसट्रेटर (टी.पी.ए.) का प्रयोग किया जाएगा। राज्य में पूर्व से ही संचालित यू-हेल्थ व मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना में समाहित कर लिया जाएगा। बडत्री बात यह है कि आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना में राज्य के सभी लोगों को स्वास्थ्य कवर मिलेगा। इस योजना के आयुष्मान भारत से लिंक होने के कारण लाभार्थियों को केवल उत्तराखण्ड में ही नहीं बल्कि देश के किसी भी स्थान पर सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज का लाभ मिल सकेगा।
बैठक में बताया गया कि ट्रस्ट मोड में योजना के क्रियान्वयन से संस्थागत संरचना में निर्णय व क्रियान्वयन राज्य प्रशासन की भूमिका होगी। इसमें राज्य हेल्थ एजेंसी द्वारा अस्पतालों को सूचीबद्ध किया जाएगा और इन्हें लाभार्थियों के इलाज का भुगतान सीधे राज्य हेल्थ एजेंसी द्वारा किया जाएगा। इससे संबंधित अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता पर राज्य हेल्थ एजेंसी की सीधे नजर रहेगी। इस योजना में प्राईवेट हेल्थ इन्श्योरेंस कंपनियों की तुलना में लाभार्थियों से बहुत ही कम प्रीमियम लिया जाएगा।