देहरादून। राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सभी जिलों में आयुष डाॅक्टरों की तैनाती की गई थी लेकिन एनएचएम के द्वारा उनकी ओपीडी को संतोषजनक नहीं पाए जाने पर अब उनकी नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के निदेशक ने इन डाॅक्टरों को चेतावनी भरा खत लिखकर उन्हें ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। सुधार नहीं होने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को आयुष चिकित्सकों की संविदा सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया है।
गौरतलब है कि एनएचएम के निदेशक की तरफ से दिए गए इस आदेश के बाद आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सकों के साथ ही एनएचएम कर्मियों में खलबली मची है। बता दें कि उत्तराखंड के सभी जिलों में संविदा के तहत 68 डाॅक्टरों को भर्ती किया गया था लेकिन हाल ही में एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ कि इन डाॅक्टरों की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या काफी कम है। इसे पहली नजर में आयुष डाॅक्टरों की लापरवाही माना गया। इससे एनएचएम के तहत चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।
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यहां बता दें कि बागेश्वर और रुद्रप्रयाग जिलों को छोड़कर सभी 11 जिलों में आयुष के डाॅक्टरों की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या लगातार कम होती जा रही है ऐसे में अगर डाॅक्टरों की तरफ से इसे सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं तो उनकी नियुक्तियों को समाप्त कर दिया जाएगा।