नैनीताल । देवभूमि उत्तराखंड में अब मंदिर को किराये पर देने का विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर भी कोई आम नहीं बल्कि बद्रीनाथ में महालक्ष्मी मंदिर । नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ के समक्ष इससे जुड़ी एक जनहित याचिका आने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई की है। बद्रीनाथ में महालक्ष्मी मंदिर को 35 हजार रुपये प्रतिवर्ष किराये पर दिए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए मंदिर समिति को 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि हरिद्वार निवासी राकेश कौशिक ने एक जनहित याचिका दायर करते हुए बद्रीनाथ केदारनाथ समिति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जनहित याचिका दाखिल करने वाले शख्स का कहना है कि मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार की अनुमति लिए बिना ही बद्रीनाथ में स्थित महालक्ष्मी मंदिर एक संस्था को 35 हजार रुपये सालाना किराये पर दे दिया है। इतना ही नहीं संस्था को चरणामृत तक बेचने की अनुमति भी दे दी गई है।
इतना ही नहीं मंदिर समिति ने मंदिर को किराये पर दिए जाने के मामले में राज्य सरकार से कोई अनुमति तक नहीं ली। नियमों के मुताबिक यह मंदिर बिना सरकार की अनुमति के किसी को भी किसी काम के लिए नहीं दिया जा सकता । सरकार ने इससे जुड़े एक शपथ पत्र में उल्लेख किया है कि मंदिर किराये पर दिए जाने के मामले में सरकार ने किसी तरह की कोई अनुमति नहीं दी है। मंदिर समिति ने अपनी मर्जी से यह काम किया है।