देहरादून। स्वच्छ और पारदर्शी सरकार का दावा उत्तराखंड में खोखला साबित हो रहा है। सरकार द्वारा शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति पर पूरी तरह से रोक होने के बावजूद पहुंच वाले शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति धड़ल्ले से हो रही है और उन्हें आसानी से एनओसी मिल जा रही है। ताजा मामला जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पदों का है जिसके लिए 5 शिक्षकों ने एनओसी प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की है।
प्रतिनियुक्ति पर रोक
गौरतलब है कि राज्य के देहरादून, नैनीताल हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद 31 मार्च को खाली हो रहे हैं। ऐसे में अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय ने इसके लिए प्रतिनियुक्ति पर आवेदन मांगे थे, इन पदों के लिए शनिवार को साक्षात्कार हुए। बड़ी बात यह रही कि साक्षात्कार के लिए कुल 9 लोग पहुंचे और सभी शिक्षक थे।
5 को मिली एनओसी
यहां गौर करने वाली बात है कि साक्षात्कार के लिए आए 9 लोगों में से 5 के पास एनओसी भी है, और यह सभी शिक्षा विभाग के अधीन हैं। दूसरे शिक्षक आश्रम पद्धति विद्यालय, आईटीआई के शिक्षक हैं। इनमें गुलशेर अहमद, मानवेंद्र सिंह रावत, अतिया बेगम, प्रदीप कुमार और परवेज शामिल हैं।
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साक्षात्कार की प्रक्रिया पर सवाल
अब अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पदों के लिए हुए साक्षात्कार की प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं। साक्षात्कार में चयन समिति के अध्यक्ष अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी शामिल ही नहीं हुए, उनकी जगह पर बाद में मदरसा बोर्ड के डिप्टी रजिस्ट्रार हाजी अखलाख को शामिल कर लिया गया।