देहरादून। राज्य में बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों की परेशानी बढ़ सकती है। अब उन्हें बोर्ड परीक्षा में शामिल होने से पहले बौद्धिक टेस्ट से गुजरना होगा। केंद्र की एनएएस यानी राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण योजना के तहत विद्यालयी शिक्षा बोर्ड पांच फरवरी को 10वीं के छात्रों का बौद्धिक टेस्ट लेगा। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड को सौंपी गई है। यहां बता दें कि 5 मार्च से राज्य में बोर्ड की परीक्षा शुरू होने वाली है।
केन्द्र के द्वारा कराया जा रहा सर्वे
गौरतलब है कि एनएसएस की तरफ से इस बौद्धिक जांच से छात्रों के ज्ञान के स्तर का पता चलेगा। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड कार्यालय में सचिव डॉक्टर नीता तिवारी की अध्यक्षता में प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों की बैठक की गई। इसमें सचिव डॉक्टर नीता ने बताया कि केंद्र सरकार नेशनल अचीवमेंट सर्वे योजना के तहत पूरे देश में कक्षा 10 में पढ़ने वाले बच्चों के बौद्धिक स्तर को परखने के लिए 5 फरवरी को एक टेस्ट के जरिए सर्वे करा रही है।
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छात्रों के ज्ञान के स्तर की जांच
आपको बता दें कि प्रदेश में छात्रों के बौद्धिक जांच की जिम्मेदारी उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड को सौंपी गई है। बच्चों में शिक्षा के स्तर को जांचने के लिए 13 जिलों के करीब 1040 स्कूलों की पहचान की गई है। इन स्कूलों में 5 फरवरी को विद्यार्थी के शिक्षा में बौद्धिक स्तर को जांचने के लिए एक 90 मिनट का टेस्ट कराया जाएगा। टेस्ट के आधार पर एक सर्वे रिपोर्ट बनाकर केंद्र को भेजी जाएगी। बता दें कि प्रत्येक छात्र-छात्राओं को अलग-अलग विषयों की ओएमआर शीट दी जाएगी जिसमें उन्हें 60 सवालों के जवाब 90 मिनट के अंदर देना होगा। ऐसा करने से छात्रों की परीक्षा के लिए तैयारी का भी पता चलेगा।
एक स्कूल से 45 छात्र देंगे टेस्ट
डॉ.नीता ने बताया कि एक स्कूल के 45 बच्चों को बौद्धिक टेस्ट से गुजरना होगा। 45 से अधिक व 15 से कम संख्या के स्कूलों में बच्चों के मूल्यांकन की परीक्षा नहीं कराई जाएगी।
हर जिले के 80 स्कूलों में होगा टेस्ट
5 फरवरी को 10वीं के विद्यार्थियों के बौद्धिक टेस्ट कराने का जिम्मा बोर्ड को-ऑर्डिनेटर नंदन सिंह बिष्ट को सौंपा है। प्रत्येक जिले के 80 विद्यालयों में यह टेस्ट होना है और इसके लिए प्रदेश भर के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं।