देहरादून। गुरुग्राम के स्कूल में हुई एक घटना के बाद पूरे देश में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिन्ता बढ़ गई है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को स्कूल वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई इंतजाम करने के सुझाव दिए हैं। मुख्य सचिव को भेजे पत्र में आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 1997 को स्कूली बच्चों को सुरक्षित परिवहन उपलब्ध कराने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन राज्य के कई क्षेत्रों में इनका पालन नहीं हो रहा है।
चालकों का पुलिस वेरिफिकेशन
गौरतलब है कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने स्कूल वाहनों में बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल वाहन के चालक को कम से कम पांच साल तक वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए साथ ही उसका पुलिस वेरिफिकेशन भी होना चाहिए। अगर कोई भी चालक शराब पीते हुए पकड़ा जाता है तो उसे वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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छात्राओं की बस में महिला सहायक
आयोग के अध्यक्ष ने यह भी सुझाव दिया है कि कंडक्टर की योग्यता मोटर व्हेकिल एक्ट के तहत होनी चाहिए। जिस वाहन में छात्राएं आती-जाती हैं उसमें महिला सहायक जरूर हो। सभी वाहनों में फस्र्ट एड बॉक्स और अग्निशमन उपकरण हो। आयोग ने मुख्य सचिव को स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर दिए गए सुझावों को गंभीरता लेने को कहा है।