देहरादून । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत लोकसभा चुनावों में नैनीताल सीट से चुनाव हार गए हैं। उन्हें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने बड़े अंतर से हराया । इससे पहले उत्तराखंड सरकार का नेतृत्व कर रहे हरीश रावत अपनी राज्य सरकार को बचाने में भी नाकामयाब रहे थे और विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने उनके नेतृत्व में कांग्रेस को पटखनी दी थी । हालांकि पार्टी आलाकमान उन्हें नैनीताल सीट के बजाए हरिद्वार से चुनाव लड़वाना चाहती थी लेकिन पार्टी आलाकमान को अपनी बात पर झुकाते हुए उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट को अपना प्रतिद्वंदी चुना ।
भाजपा को इस सीट से मिलनी थी चुनौती
लोकसभा चुनावों के ऐलान के साथ ही खबरें आने लगी थी कि इस बार उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों में से भाजपा को नैनीताल सीट पर टक्कर मिलेगी । हालांकि पार्टी हरीश रावत को हरिद्वार सीट से चुनाव लड़वाना चाहती थी, लेकिन हरदा ने खुद जिद करते हुए अपने लिए नैनीताल सीट चुनी । हालांकि वह इस सीट के लिए कुछ तैयारी कर भी चुके थे, पार्टी का भी मानना था कि वह नैनीताल के बजाए हरिद्वार सीट को निकाल सकते हैं । हरिद्वार सीट पर उनका मुकाबला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से होता, जबकि नैनीताल में उनका मुकाबला भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से हुआ और नतीजे अब सामने हैं।
सीट चुनने में फिर चूक
हरीश रावत के बड़े अंतर से हारने को लेकर प्रदेश के लोग भी भौंचक्के हैं। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब हरीश रावत ने अपने लिए सुरक्षित सीट चुनने में चूक की है । इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने अपने लिए दो सीटों का चुनाव किया । 2016 में सत्ता को लेकर मचे घमासान के बाद अगले ही साल हो रहे विधानसभा चुनाव हरदा की साख से जुड़ गए थे । उन्होंने अपने लिए किच्छा और हरिद्वार ग्रामी सीट को चुना लेकिन किच्छा में राजेश शुक्ला और हरिद्वार ग्रामीण में यतीश्वरानंद जैसे अपेक्षाकृत नए उम्मीदवारों ने हरदा को हरा दिया ।
केंद्र की राजनीति में हुए थे सक्रिय
राज्य की राजनीति में लंबे समय तक एक अहम धुरी रहे हरीश रावत का दखल न तो अब उत्तराखंड की राजनीति में किसी तरह रह गया है, न ही वह केंद्र की ही राजनीति में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किसी स्तर पर कर सकते हैं। राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों की तैयारी के मद्देनजर अपनी एक नई टीम बनाई थी, जिसमें से अधिकांश नेता खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए हैं। यहां तक की इस बार राहुल गांधी भी अपनी अमेठी सीट को नहीं बचा पाए। बहरहाल , अब इस सब के बीच हरीश रावत के राजनीति करियर पर ही दांव लग गया है । पूरे देश में कांग्रेस सिकुड़ती जा रही है , ऐसे में हरदा की राजनीति सक्रियता आने वाले दिनों में किस तरह नजर आएगी, इस पर सबकी नजर रहेगी ।