देहरादून। उत्तराखंड में विकास कार्यों की समीक्षा करने के लिए 7 जुलाई से वीडियो कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसे लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी है। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी और निर्दलीय विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र शामिल नहीं किए गए हैं। सरकार के इस कदम के बाद केदारनाथ से कांग्रेसी विधायक मनोज रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर विकास कार्यों में भेदभाव बरतने का आरोप लगा दिया है। मनोज रावत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि गैर भाजपाई विधायकों को वीडियो कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम में शामिल नहीं करना राज्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
गौरतलब है कि बुधवार को सीएम के निजी सचिव की ओर जारी एक पत्र में राज्य के 57 विधानसभाओं में जहां से भाजपा के विधायक हैं सिर्फ उन्हें ही इसमें शामिल किया गया है। सरकार की ओर से जारी इस पत्र के बाद कांग्रेस के विधायकों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि कांग्रेस के विधायकों को इसमें शामिल न करने से राज्य का विकास संभव नहीं होगा। केदारनाथ से विधायक मनोज रावत ने विरोध करते हुए अपने पत्र में मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि क्या 13 विधानसभाओं के लोग उत्तराखंड के नागरिक नहीं हैं।
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बता दें कि मनोज रावत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्या इन 13 विधानसभा के लोगों को विकास नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री को उन्होंने इस बात की भी याद दिलाई कि शपथ लेते हुए सभी क्षेत्रों के विकास की बात कही गई थी। इसके बाद अब इन क्षेत्रों को नजरअंदाज करना काफी महंगा पड़ सकता है। मनोज रावत ने कहा कि राज्य सरकार को यह बताना होगा कि वे गैर भाजपाई विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों की समीक्षा से दूर क्यों भाग रहे हैं। मनोज रावत ने मुख्यमंत्री को चेताते हुए कहा, कि उनके अपने साथी और सलाहकार ही उन्हें राजनीतिक तौर पर डुबोने में लगे हैं।
मुख्यमंत्री पर सवालों की बौछार
- क्या आप कांग्रेसी विधायकों और निर्दलीय विधायकों की समीक्षा भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के साथ नहीं करना चाहते हैं
- क्या आप लोकतांत्रिक सरकारों में अंतिम निर्विवाद राजा हैं।यही वजह है कि आप विपक्षी दलों की कोई परवाह नहीं कर रहे
- मुख्यमंत्री बनने के बाद आपने घोषणा की थी कि हर विधायक को एक साल में 10 करोड़ रुपये की राशि सड़कें बनाने के लिए देंगे
- 50 लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से जरूरतमंदों को दिए जाएंगे
- एक साल के आंकड़ों को उठाकर देखें तो उक्त दोनों मामलों में कांग्रेस के विधायकों को कुछ भी नहीं दिया गया है