नैनीताल। राज्य में दोहरी पुलिस व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं और इसे खत्म करने को कहा है। वहीं दूर-दराज के इलाके में पुलिस चौकियों की संख्या बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं। बता दें कि उत्तराखंड देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां आज भी राजस्व पुलिस की व्यवस्था कायम है जबकि दूसरे राज्यों में राजस्व की जगह सिविल पुलिस काम कर रही है।
150 साल से ज्यादा पुरानी प्रथा
गौरतलब है कि उत्तराखंड में दोहरी पुलिस व्यवस्था का इतिहास कोई नया नहीं है। यह व्यवस्था 156 साल पुरानी है, 1866 में जब देश के दूसरे हिस्सों में राजस्व की जगह सिविल पुलिस ले रही थी, तब तत्कालीन कुमाऊं और गढ़वाल कमिश्नर सर हेनरी रैमजे ने पहाड़ में सिविल पुलिस के दखल पर रोक लगा दी थी। इतने सालों के बाद अब न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने पुरानी व्यवस्था खत्म कर नई व्यवस्था 6 महीने के अंदर लागू करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा पुलिस ट्रेनिंग इंस्टीटयूट स्थापित करने को भी कहा है। यहां बता दें कि टिहरी में 6 साल पहले हुई दहेज हत्या के मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि एक ही राज्य में दो पुलिस व्यवस्था नहीं चल सकती है।
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लोगों ने किया था विरोध
आपको बता दें कि कोर्ट ने कहा कि हत्या के मामले में वैज्ञानिक तथ्यों की कमी पाई गई है जबकि इस तरह के मामले में तथ्य जरूरी होते हैं। जांच रिपोर्ट में यह भी पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व पुलिस की व्यवस्था होने से हत्या जैसे केस की जांच सभी तरीके से मुमकिन नहीं हो पाती है। बता दें कि पिछली सरकार द्वारा सिविल पुलिस थाना खोले जाने का भारी विरोध किया गया था उसके बाद सरकार से उसे रद्द कर दिया था। राज्य में मौजूदा समय में 58 फीसदी क्षेत्र पर राजस्व पुलिस है जबकि सिर्फ 42 फीसदी क्षेत्रों में ही सिविल पुलिस है।