देहरादून। उत्तराखंड में अपनी मांगों को लेकर कई दिनों से आंदोलन कर रहे शिक्षकों का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। ऊधमसिंह नगर के निवासी अजय कुमार के द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मामले में बुधवार की दोपहर तक सरकार को स्थिति साफ करने के निर्देश दिए हैं। याचिका में कहा है कि राज्य में पहले ही शिक्षकों की कमी है ऐसे में आंदोलन करने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। शिक्षा मंत्री इस आंदोलन को पहले ही बेमतलब बता चुके हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के शिक्षक, राजकीय शिक्षक संघ के बैनर तले अपनी 18 सूत्रीय मांगों को लेकर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार को तो उन्होंने शिक्षा निदेशालय और सीईओ कार्यालय पर तालाबंदी तक कर दी थी जिसे बाद में शिक्षा निदेशक आर के कुंवर ने तुड़वाया था। शिक्षकों के आंदोलन को लेकर ऊधमसिंह नगर के निवासी अजय कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि शिक्षकों की कमी से जूझ रहे राज्य में इनके हड़ताल पर जाने या आंदोलन करने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। याचिका में यह भी कहा गया कि सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। ऐसे में इन पर एस्मा लगाकर इन्हें काम पर लगाया जाए।
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यहां बता दें कि इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने शिक्षकों के शिक्षण कार्य को छोड़कर आंदोलन में शामिल होने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। शिक्षकों पर सख्त रुख अपनाते हुए बुधवार की दोपहर तक सरकार को इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
अब कोर्ट के सख्त रवैये के बाद शिक्षकों का आंदोलन खत्म होने की उम्मीद जगी है। गौर करने वाली बात है कि शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष और महामंत्री के तबादले के बाद शिक्षकों ने निदेशालय पर तालाबंदी कर दी थी। सरकार ने इन शिक्षकों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।