देहरादून। राज्य में वन एवं पर्यावरण संरक्षण के नाम पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर वन विभाग शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। संगठनों से इस सिलसिले में कई बिन्दुओं पर जवाब मांगे गए हैं। संतोषजनक जवाब न देने वाले एनजीओ को प्रतिबंधित किया जा सकता है। इसके लिए इस क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ को नोटिस भेजे जा रहे हैं।
जवाब न देने वालों पर लगेगा प्रतिबंध
गौरतलब है कि उत्तराखंड का आधा से ज्यादा भूभाग जंगलों से भरा है। ऐसे में इस क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों की संख्या भी काफी है लेकिन ज्यादातर संगठन सिर्फ फायदा उठाने के मकसद से काम कर रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य का वन विभाग अब सक्रिय हो गया है और सही ढंग से काम न करने वाले एनजीओ को प्रतिबंधित करने की तैयारी कर रहा है। इस सिलसिले में पिछले 5 सालों से काम करने वाले संगठनों से 6 बिन्दुओं पर सवाल पूछे गए हैं। बता दें कि पिछले तीन महीने के दौरान अब तक छह बड़े एनजीओ को नोटिस भेजे गए हैं लेकिन उनमें से 3 ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। विभाग के मुताबिक ब्योरा न देने वाले एनजीओ पर राज्य में प्रतिबंध लगाया जाएगा।
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जानवरों के अंगों की तस्करी
आपको बता दें कि वन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ पर सालों से सवाल उठते रहे हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले 50 हजार से ज्यादा एनजीओ राज्य में पंजीकृत हैं। इसके बावजूद कुछ को छोड़कर इस क्षेत्र में इनकी सक्रिय भागीदारी नजर नहीं आती। वन विभाग के अधिकारियों को इस बात का पता चला कि जंगलों में वन्य जीवों के अंगों की झूठी मांग पैदा की जा रही है। इन क्षेत्रों में वन्यजीवों की खाल व अंग पकड़वाने के एवज में मोटी रकम का लालच दिया जाता है।
इन बिन्दुओं पर मांगी जानकारी
-परियोजना का नाम
-राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति का विवरण
-वित्तीय पोषण देने वाले संस्थान का नाम
-परियोजना के लिए स्वीकृत राशि
-अब तक व्यय राशि
-शोध-क्रियान्वयन को उत्तरदायी व्यक्ति