देहरादून। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की गलती का खामियाजा करीब 13 हजार बेसिक और जूनियर शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। केन्द्र सरकार के नए मानकों के अनुसार विशिष्ट बीटीसी के आधार पर राज्य के करीब 13 हजार बेसिक और जूनियर शिक्षक अप्रशिक्षित शिक्षकों की श्रेणी में आ गए हैं। अब इन्हें अपनी नौकरी बचाने के लिए हर हाल में 31 मार्च 2019 तक कोर्स करना होगा। हालांकि सरकार ने एनसीटीई से इस मामले में राहत देने की मांग की है।
केंद्र के नए मानक
गौरतलब है कि बेसिक और जूनियर शिक्षकों के साथ यह पूरा गड़बड़झाला राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से बगैर मान्यता प्राप्त विशिष्ट बीटीसी कोर्स कराने की वजह से हुआ। केंद्र सरकार इस योग्यता को प्रशिक्षित शिक्षक के लिए सही नहीं मान रही है। ऐसे में अब इनके सामने रोजी-रोटी का मसला खड़ा हो गया है। इन शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने के लिए 31 मार्च 2019 से पहले एनसीटीईटी के स्तर से बेसिक और जूनियर शिक्षक के लिए निर्धारित योग्यता हासिल करनी पड़ेगी।
ये भी पढ़ें - शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में योगदान देने वाले 46 शिक्षकों को मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
राज्य सरकार का केन्द्र से अनुरोध
राज्य सरकार ने अब एनसीटीई से इस मामले में राहत देने की मांग की है। राज्य के शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट और शिक्षा महानिदेशक आलोक शेखर तिवारी ने एनसीटीई और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस बात का अनुरोध किया है कि इन 13 हजार 175 शिक्षकों को बीपीएड,सीपीएड और डीपीएड को प्रशिक्षित शिक्षकों की श्रेणी में रखा जाए। अब यह पूरी तरह से एनसीटीई पर निर्भर है कि वह इन शिक्षकों के भविष्य के बारे में क्या फैसला लेती है। अगर एनसीटीई अपना विचार नहीं बदलता है तो इन शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है।