देहरादून। उपराष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू मंगलवार को उत्तराखंड के स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह का हिस्सा बने। उन्होंने छात्रों से अपील की हमें अपनी मां, जन्मभूमि, मातृभाषा और देश को कभी नहीं भूलना चाहिए। छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मातृभाषा, नेत्र के समान होती है जबकि विदेशी भाषा चश्मे की तरह होती है। उनहोंने कहा कि दूसरी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है लेकिन अपनी भाषा का अनादर कभी नहीं करना चाहिए।
भाषा के विकास पर जोर
गौरतलब है कि स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति ने हिन्दी के विकास पर जोर देते हुए कहा कि इस भाषा में जो भावनाएं व्यक्त की जा सकती हैं वे दूसरी भाषाओं में नहीं की जा सकती है। दीक्षांत उपाधि पाने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि भारत के लोगों को अपनी संस्कृति व परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा हमारे देश की परंपरा ही वसुधैव कुटुम्बकम की रही है। हमारी भाषाएं अलग हो सकती हैं लेकिन देश एक ही है।
पलायन पर रोक का प्लान
आपको बता दें कि शिक्षा के उत्थान पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का मकसद सिर्फ रोजगार हासिल करना ही नहीं होता है। यह हमारे दिमाग को खोलकर इंसान को संस्कारवान व सामथ्र्यवान बनाती है। उपराष्ट्रपति ने देश के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा चलाए जा रही योजनाओं स्किल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रिफार्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म का मंत्र दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश से होने वाले पलायन को रोकने में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम का ग्रामीण विकास का (प्रोवाईडिंग अरबन फेसिलिटीज इन रूरल एरिया) माॅडल सहायक हो सकता है।
शोध के महत्व पर जोर दिया राज्यपाल ने
वहीं दीक्षांत समारोह में राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कंात पाल ने कहा कि वर्तमान युग, ज्ञान का युग है। राज्यपाल केके पाॅल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ज्ञान का सृजन केंद्र बनना होगा और इसके लिए मौलिक व स्तरीय शोध को महत्व देना होगा। राज्रूपाल ने युवाओं से अपनी सोच विकसित करने का आग्रह किया है। राज्यपाल ने कहा कि जब वे अपनी गे्रजुएशन कर रहे थे तो भारत की गिनती तृतीय विश्व के देशों में की जाती है लेकिन आज भारत का विश्व में एक शक्तिशाली देश के तौर पर सम्मान है। पलायन को एक समस्या बताते हुए कहा कि सरकार ने उसे रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। राज्यपाल ने स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय को 1200 से अधिक गांव गोद लेने पर बधाई दी।
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स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में योग व आयुर्वेद की महान परम्परा रही है। इस विरासत का संरक्षण कर वैकल्पिक चिकित्सा, योग व आयुर्वेद में बड़ा योगदान दिया जा सकता है। पूज्य स्वामी राम ने हमारी प्राचीन बुद्धिमत्ता को आधुनिक तकनीक से जोड़ा। जैसा कि प्रधानमंत्री जी कहते हैं हमारा लक्ष्य युवाओं को रोजगार ढूंढ़ने वाले से रोजगार प्रदान करने वाले में परिवर्तित करना है। इसके लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करते हुए स्किल डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देना होगा।
सीएम बोले, शिक्षा का बेहतर वातावरण
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि अच्छी शिक्षा के साथ हमारी सोच भी सकारात्मक, रचनात्मक और आशा व विश्वास से भरी होनी चाहिए। स्वामी राम ने प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्म लेकर अपनी प्रतिभा के बल पर अपने राज्य में इतने बड़े संस्थान को स्थापित किया, जो चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ सुविधा एवं तकनीकि दक्षता के क्षेत्र में प्रदेश की सेवा कर रहा है। उत्तर भारत के लोग भी यहां स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं, इस संस्थान में शिक्षा का बेहतर वातावरण होने से देश के विभिन्न राज्यों के छात्र यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी राम अस्पताल में अपना उपचार कराने वाले अन्य प्रदेशों के लोग जब यहाॅ की अच्छी व्यवस्थाओं का जिक्र करते है तो अच्छा लगता है इससे प्रदेश का भी मान बढ़ता है। उन्होंने युवा चिकित्सकों का आहवान किया कि वे मरीजों के साथ आत्मीयता का व्यवहार करे जिस जगह भी आप चिकित्सा सेवाये द,े वहां बीमारी के इलाज में मानवीय दृष्टिकोण जरूरी है, इससे डाॅक्टर की गरिमा एवं महिमा बढ़ जाती है। स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. विजय धस्माना ने विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों, गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया कि दीक्षांत समारोह में लगभग 400 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई ।