देहरादून। हर माता-पिता की चाहत होती है कि उसका बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त करे लेकिन कई बार वे ऐसी स्थिति में नहीं होते हैं कि उनकी पढ़ाई का खर्च भी उठा सकें। ऐसे बच्चों के लिए चमोली जिले के शिक्षक धन सिंह घरिया किसी देवदूत से कम नहीं हैं। 2005 से रुद्रप्रयाग के प्राथमिक स्कूल किमाणा में नियुक्त धन सिंह घरिया अब तक करीब 150 बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठा चुके हैं। यहां तक की वे अपने वेतन को भी इन छात्रों की पढाई पर ही खर्च करते हैं। धन सिंह घरिया आज सभी स्कूलों में मोटी सैलरी लेने वाले शिक्षकों के लिए एक मिसाल बने हुए हैं।
गौरतलब है कि साल 2005 से ही रुद्रप्रयाग के दुर्गम इलाके के स्कूल में तैनात धन सिंह घरिया ने बच्चों की मदद करने के साथ ही जीआईसी गोदली (पोखरी) के परिसर में ही एक मिश्रित वन तैयार किया है। इस वन में करीब 100 से ज्यादा प्रजाति के पौधे हैं। बता दें कि शिक्षक धन सिंह घरिया गोपेश्वर के समीप सेंटुणा गांव में भोटिया जनजाति परिवार के हैं और पिछले 11 सालों से इसी स्कूल में राजनीतिक विज्ञान के प्रवक्ता पद पर तैनात हैं।
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यहां बता दें कि अपनी 13 साल की सेवा में उन्होंने अब तक करीब 150 बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठा चुके हैं और अपने वेतन को भी स्कूल के गरीब छात्रों पर ही खर्च करते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि धन सिंह घरिया ने केदारनाथ हादसे में अपने माता-पिता को खो चुकी 7वीं कक्षा की छात्रा अंजलि की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाया और वह आज 12वीं कक्षा की छात्रा बन गई है। चमोली जिले के इस शिक्षक का कहना है कि गरीब छात्रों की मदद करने से उन्हंे काफी सुकून मिलता है। स्थानीय लोगों के साथ शिक्षक भी धन सिंह घरिया के इस जज्बे को सलाम कर रहे हैं।