देहरादून। शराब पीकर वाहन चलाने पर दुर्घटना होने की खबरें तो हम सबने सुनी है। इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उत्तराखंड आवासीय विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के छात्रों ने एक ऐसे उपकरण का आविष्कार किया है जिससे अब शराब पीकर गाड़ी चलाना तो दूर चालक की सीट पर बैठने के बाद गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी। इस उपकरण के इस्तेमाल से सड़क दुर्घटनाओं में काफी हद तक लगाम लगेगी। फिलहाल इसकी जांच मानेसर स्थित आई कैड, गुड़गांव स्थित एसजीएस लैब व पुणो स्थित एआरएआइ संस्थान में चल रही है।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एचएस धामी ने बताया कि प्रदेश में बढ़ रही वाहन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने की दृष्टि से राज्यपाल केके पाल ने इस विषय पर शोध कार्य करने का निर्देश दिया था जिसके बाद उनके नेतृत्व में आरआइ इंस्ट्रूमेंट्स एंड इनोवेशन इंडिया के डॉक्टर आरपी जोशी व आकाश पांडे ने मिलकर एक ऐसा डिवाइस तैयार किया, जिसे गाड़ियों पर लगाए जाने के बाद नशे, नींद या मोबाइल पर बात करने की स्थिति में गाड़ी चलाना मुश्किल होगा।
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यहां बता दें कि अब वाहन चालकों के शराब पीकर सीट पर बैठने के बाद गाड़ी स्टार्ट करने के लिए उसमें लगे सेंसर में फूंक मारनी होगी। इसके साथ ही संेंसर एक्टिवेट हो जाएगा, चालक के खून में तय मानकों से ज्यादा मात्रा में अल्कोहल होने पर गाड़ी स्टार्ट ही नहीं होगी। ड्राईवर अगर चालाकी करते हुए किसी दूसरे व्यक्ति से इसमें फूंक मरवाता है तो सेंसर में लगी इंफ्रारेड सेंसर इसे पहचान कर गाड़ी को स्टार्ट नहीं होने देगी। इस तरह से गाड़ी में बैठकर अपनी शाम को थोड़ा रंगीन करने का मूड रखने वाले सावधान हो जाएं।
नींद का झोंका आने की स्थिति में भी डिवाइस पर लगा इमेजिंग सेंसर ड्राइवर की आंखों की मूवमेंट के आधार पर गाड़ी में बैठे अन्य यत्रियों को आगाह कर देगा। गाड़ी चलाते हुए ड्राइवर द्वारा मोबाइल पर बात करने की स्थिति में भी इमेजिंग तकनीक द्वारा सतर्कता सूचना प्रसारित की जाएगी। डिवाइस में ही लगे जीपीआरएस व जीएसएम तकनीक से गाड़ी की लोकेशन भी जानी जा सकेगी। यदि गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो डिवाइस द्वारा ही 5 से 10 मिनट में 100 नंबर डायल कर इसकी सूचना स्वत: ही भेज दी जाएगी। प्रो. धामी ने बताया कि डिवाइस के फोर्मुले पेटेंट कराने के लिए यूकॉस्ट के पेटेंट सेल को भेज दिया गया गया है। बताया कि उक्त डिवाइस को गाड़ियों में लगाने से पहले 80 से भी अधिक जांच से गुजरना होगा। यह जांच मानेसर स्थित आई कैड, गुड़गांव स्थित एसजीएस लैब व पुणो स्थित एआरएआइ संस्थान में चल रही है।