देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षा को बेहतर बनाने की सरकारी योजनाओं को विभाग के अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। बच्चों को स्कूलों तक लाने और शिक्षा की रोशनी हर बच्चे तक पहुंचाने वाली योजना ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत स्कूल निर्माण के लिए मिलने वाली रकम को अधिकारी मनमाने ढंग से ठिकाने लगा रहे हैं। हरिद्वार में स्कूलों के नए सिरे से हो रही जांच में इस बात का खुलासा हुआ है।
रकम का वारा-न्यारा
गौरतलब है कि हरिद्वार में रुड़की ब्लॉक के सलेमपुर राजपुताना प्राथमिक स्कूल मामले की नए सिरे से हुई जांच में सर्व शिक्षा अभियान के तहत दी जाने वाली रकम का किस तरह से वारा-न्यारा किया गया। खबरों के अनुसार अफसरों ने स्कूलों की इमारत के निर्माण में किसी भी मानक का कोई ध्यान नहीं रखा गया। अधिकारियों ने स्कूलों की पुरानी इमारतों को गिराकर अपने चहेते ठेकेदार से इमारत का निर्माण करवा दिया। यहां तक की स्कूल के मलबे की नीलामी से जो रकम मिली उसे अपने खातों में जमा करवा ली। बड़े अधिकारियों से मामले के जुड़ा होने की वजह से विभाग ने इसे दबा दिया गया था।
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जांच कमेटी का गठन
आपको बता दें कि हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने विभाग से इस मामले में रिपोर्ट तलब की थी। इसके बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया है। बता दें कि हरिद्वार के इस स्कूल की हेडमास्टर चंद्रकांता की समझबूझ के कारण अवैध रूप से कराए इस काम का भुगतान नहीं किया गया है। कोर्ट के आदेश के बाद अपर निदेशक-बेसिक वीएस रावत ने 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद उनपर कार्रवाई की जाएगी।