देहरादून। उत्तराखंड में कार्मिकों, शिक्षकों और आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा ने अपनी मांग को लेकर 18 मई को 1 दिन के अवकाश पर जाने का ऐलान किया है। बता दें कि राज्य में शिक्षक और आउटसोर्स पर तैनात कर्मियों ने मांगे न माने जाने पर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत पहले ही कह चुके हैं कि वे राज्य को हड़ताली प्रदेश नहीं बनने देंगे।
गौरतलब है कि कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चे ने प्रतिक्रिया दी है। मोर्चे की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि कार्मिक भी हड़ताल नहीं चाहते हैं लेकिन 1 मई को मोर्चे का गठन करने के बाद 3 मई को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को मांग पत्र भेज दिया था। अब 18 मई को प्रदेशभर में कार्मिक एक दिन का अवकाश लेकर धरना-प्रदर्शन करेंगे। मोर्चे की चेतावनी के बावजूद अभी तक उन्हें बताचीत के लिए नहीं बुलाया गया है।
ये भी पढ़ें - उत्तराखंड के लिए आने वाले 5 दिन हैं भारी, इन 7 जिलों में चल सकती हैं 90 किलोमीटर प्रतिघंटे की...
यहां बता दें कि संयुक्त मोर्चा का कहना है कि कार्मिकों की मंशा भी हड़ताल करने की नहीं रहती है लेकिन सरकार उनकी सुन ही रही है। उनका कहना है कि कोई भी ऐसी समस्या नहीं है, जिसका निस्तारण बातचीत से न हो सके। कार्मिक, शिक्षकों और आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार कार्मिकों की तकलीफों को समझेगी और उसे जल्द दूर किया जाएगा।
गौर करने वाली बात है कि शिक्षक स्कूलों के त्रुटिपूर्ण कोटिकरण में सुधार न होने से नाराज हैं। इस बात को लेकर राजकीय शिक्षक संघ के जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने 14 मई से सीईओ कार्यालय पर आमरण अनशन का ऐलान किया था लेकिन अब इसे स्थगित कर 22 मई को डीएम कार्यालय पर धरना देने का निर्णय लिया है।