देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने नई आबकारी नीति जारी कर दी है। इस नीति के बाद से शराब की दुकानों पर मई महीने से शराब की कीमतों में इजाफा हो जाएगा जबकि बार और रेस्टोरेंट्स पर यह नीति अप्रैल से ही लागू होगी। इसके साथ ही सरकार ने रेस्टोबार के लाईसेंस फीस में भी बड़ा इजाफा किया है। अब रेस्टोरेंट्स को बार का लाईसेंस उसी सूरत में दिया जाएगा जब उसने साल भर में करीब 12 लाख रुपये का भोजन बेचकर उस पर टैक्स जमा किया होगा, पहले यह सीमा 6 लाख रुपये थी। सरकार के इस फैसले का शराब और होटल व्यवसायियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
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गौरतलब है कि नाराज व्यापारियों का कहना है कि बार का लाईसेंस फीस इतना ज्यादा बढ़ाने से व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में व्यापारियों ने सरकार से फीस में थोड़ी ढील देने की मांग की गई है। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष संदीप साहनी ने इस पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कि कहा कि आबकारी राज्य के राजस्व का सबसे बड़ा हिस्सा है। लेकिन सरकार की मंशा इसके प्रति गलत है। सरकार को इसे खत्म करने से पहले राज्य राजस्व के बारे में भी सोचना होगा। अभी होटल उद्योग नोटबंदी की मार से ही नहीं उबर पाया है।
आबकारी नीति की खास बातें
- बार में म्यूजिक की ध्वनि की अधिकतम सीमा 70 डेसीबल तय की गई है।
-रेगुलर बार की सालाना फीस एक लाख से बढ़ाकर 1.30 लाख और बीयर बार की 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार की।
-100 लोगों की सदस्यता वाले क्लब की सालाना फीस डेढ़ से बढ़ाकर तीन लाख की गई है। 100 से 500 तक सदस्यों वाले क्लब को 5 लाख और इससे ज्यादा सदस्यों वाले क्लब को 10 लाख रुपये चुकाने होंगे।
- 20 कमरों तक के होटल के बार लाइसेंस फीस तीन से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है। ज्यादा कमरों वाले होटलों की फीस बीते वर्ष के बराबर रहेगी। 5 सितारा होटल के लिए बार लाइसेंस फीस 15 लाख होगी। यह फीस उन होटलों पर भी लागू होगी जो कमरे का किराया 15 हजार से ज्यादा लेते हैं।