देहरादून। उत्तराखंड के राज्य पुष्प ब्रह्मकमल का वजूद खतरे में है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया द्वारा किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि ब्रह्मकमल के उगने वाले क्षेत्रों में पर्यटकों की ज्यादा आवाजाही की वजह से इसकी प्रजाति खत्म होती जा रही है। इसके अलावा लगातार बदल रहे मौसम से हो रहे पर्यावरणीय असंतुलन से भी राज्य पुष्प की संख्या कम हो रही है। इस इलाके में ब्रह्मकमल के अलावा दुर्लभ प्रजाति के फेन कमल, ब्लू पाकी जैसे जंगली फूल तथा अतीश और सालिम पंजा जैसी जड़ी बूटियां काफी कम हो गई हैं।
ब्रह्मकमल की कम होती तादाद
गौरतलब है कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया द्वारा केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और आसपास के करीब 900 वर्ग किलोमीटर में एक व्यापक सर्वे किया गया। इसमें फूलों की घाटी और आसपास के ऊंचाई वाले इलाके में पाए जाने वाले 550 प्रजाति के फूलों का एक डाटाबेस तैयार किया गया जिसमें ब्रह्मकमल काफी कम तादाद में पाए गए। नंदीकुंड, द्वाराखाल और मंदिनी में कुछ ही ब्रह्मकमल पाए गए। बता दें कि पिछले कुछ सालों में इस इलाके में ब्रह्मकमल की पैदावार में करीब 70 फीसदी तक कमी आई है।
ये भी पढ़ें - सिडकुल में करंट दौड़ने से 2 मजदूर झुलसे, एक की मौके पर ही हुई मौत
पर्यटकों की आवाजाही बनी खतरा
आपको बता दें कि पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यटकों की लगातार होने वाली आवाजाही ब्रह्मकमल के नष्ट होने की एक बड़ी वजह है। यहां आने वाले पर्यटक फूलों को तोड़ लेते हैं ऐसे में इसकी दोबारा पैदा होने की संभावना खत्म हो जाती है। इसके अलावा लगातार बदल रहे मौसम से हो रहे पर्यावरणीय असंतुलन से भी राज्य पुष्प की संख्या कम हो रही है। इस इलाके में ब्रह्मकमल के अलावा दुर्लभ प्रजाति के फेन कमल, ब्लू पाकी जैसे जंगली फूल तथा अतीश और सालिम पंजा जैसी जड़ी बूटियां काफी कम हो गई हैं। उन्होंने बताया कि वाइल्ड लाइफ ने केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और फूलों की घाटी में पाए जाने वाले करीब 550 फूलों का डाटाबेस और फोटो इस नेचर गाइड में रखा है।