पिथौरागढ़। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ इलाके के पैंकुति और दारी गांवों में 2004 में आई आपदा के दौरान भीषण तबाही मची थी। अब इस गांव के ऊपर पहाड़ी पर करीब 10 दरारें पड़ गई हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगर भारी बारिश के दौरान पहाड़ी दरकती है तो दोनों गांवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। बताया जा रहा है कि इस महीने की शुरुआत में हुई भारी बारिश के बाद गावों के कई मकानों में भी दरारें आ गई हैं। इन दोनों गांवों के करीब 40 परिवार दहशत में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।
गौरतलब है कि तहसील मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पापड़ी ग्राम पंचायत के दारी और पैंकुति तोक निवासी साल 2004 से ही अपने पुनर्वास की राह देख रहे हैं लेकिन अब तक इनकी कोई खोज खबर नहीं ली गई है। साल 2013 में आई आपदा ने भी इन गांवों में भारी तबाही मचाई थी। इन गांवों के निवासी आज भी अपनी रातें दहशत में गुजारने पर मजबूर हैं।
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यहां बता दें कि राज्य में हो रही लगातार भारी बारिश की वजह से पैंकुति गांव के वीरेंद्र सिंह बिष्ट के मकान में दरारें आ गईं है जबकि गोमती देवी के मकान को भी नुकसान पहुंचा है। दारी गांव के मंगल सिंह के आंगन में दरारें पड़ी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन को ग्रामीणों को विस्थापित करने में देर नहीं करनी चाहिए। दोनों गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थान पर नहीं बसाया गया तो मामला गंभीर हो सकता है। गांव वाले सरकार पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि दोनांे गांव साल 2004 से आपदा की मार झेल रहे हैं लेकिन किसी को यहां के लोगों के विस्थापन की कोई फिक्र नहीं है। अब मुनस्यारी के एसडीएम कृष्ण नाथ गोस्वामी का कहना है कि दारी और पैंकुति गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जाएगा। सर्वेक्षण के बाद ही पुनर्वास के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।