देहरादून। उत्तराखंड में विशिष्ट बीटीसी कर चुके शिक्षकों का मामला उलझता ही जा रहा है। विभागीय गलतियों की वजह से अप्रशिक्षितों की श्रेणी में आए शिक्षकों ने डीएलएड ब्रिज कोर्स करने से इंकार दिया है। एनसीटीई ने इन शिक्षकों को बैकडेट में मान्यता देने से इंकार कर दिया है। वहीं एनआईओएस ने 30 नवंबर तक ही इनका पंजीयन करने की तारीख रखी है। बता दें कि शिक्षा विभाग की गलती कह वजह से करीब 13 हजार विशिष्ट बीटीसी कर चुके शिक्षकों के सामने तलवार लटक गई है। शिक्षकों ने मामला न सुलझने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
सरकार भी सुस्त
गौरतलब है कि इन शिक्षकों को राज्य सरकार ने विशिष्ट बीटीसी का कोर्स किया था। एक तो शिक्षा विभाग की लापरवाही की वजह से ये शिक्षक अप्रशिक्षितों की श्रेणी में आ गए वहीं अब एनसीटीई ने इन्हें बैकडेट मंे मान्यता देने से इंकार कर इनके सामने दोहरी समस्या खड़ी कर दी है। बता दें कि शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई से मान्यता लिए बगैर ही विशिष्ट बीटीसी कराई है। वहीं अब राज्य सरकार भी इस मामले पर ढीली पड़ती जा रही है।
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31 मार्च 2019 के बाद सेवा समाप्त
आपको बता दें कि अगर इन शिक्षकों के भाग्य का फैसला जल्द नहीं होता है तो इनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। वहीं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) 30 नवंबर तक ब्रिज कोर्स का रजिस्ट्रेशन करेगा। बता दें कि आरटीई एक्ट के तहत 31 मार्च 2019 के बाद हर अप्रशिक्षित शिक्षक की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। यहां बता दें कि अप्रशिक्षित शिक्षकों ने 22 नवंबर से शिक्षा विभाग के खिलाफ आंदोलन भी शुरू कर दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने उन्हें जल्द ही इसके समाधान का भरोसा दिलाया है।
पूर्व मंत्री की मांग
यहां गौर करने वाली बात है कि पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने विशिष्ट बीटीसी के मुद्दे पर सरकार से जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है, इस डबल इंजन सरकार को अपनी ताकत दिखानी चाहिए। यह मामला सीधा-सीधा राज्य के 13 हजार से ज्यादा शिक्षकों के भविष्य से जुड़ा है और इसमें किसी भी स्तर पर कोताही ठीक नहीं होगी।