देहरादून। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों पर एसआईटी ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है एसआईटी की जांच में फर्जी पाए गए 20 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। शिक्षामंत्री अरविंद पांडे ने शिक्ष अधिकारियों को इस बाबत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि कुल 42 फर्जी प्रमाणपत्रों के मामले में 22 में विवेचना चल रही है। वहीं एसआईटी जांच में सहयोग नहीं करने पर हरिद्वार जिले के बहादराबाद में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात 2 लिपिकों पवन कुमार और मनोज चौहान पर गाज गिर गई।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद इन दोनों लिपिकों का तबादला दुर्गम इलाकों में कर दिया गया है। यहां बता दें कि राज्य में कांगे्रस सरकार के शासनकाल में बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों ने नौकरियां पाई हैं। नई सरकार आने के बाद इस मामले की जांच एसआईटी से कराने का फैसला लिया गया। एसआईटी की जांच में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा फर्जी शिक्षक पाए गए थे। इनमें कई शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दायर करने की सिफारिश भी की गई थी।
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यहां बता दें कि शिक्षा मंत्री ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी देने में शामिल अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति के इस फर्जीवाड़े में नियोक्ता अधिकारी बख्शे नहीं जाएंगे। उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए। एसआइटी प्रभारी श्वेता चौबे ने बताया कि वर्ष 2012 से 2016 तक नियुक्त किए गए 7047 शिक्षकों की सेवा संबंधित अभिलेख शिक्षा महकमे ने एसआइटी को उपलब्ध कराए हैं। इनमें से 10485 अभिलेख सत्यापन को प्राप्त हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न माध्यम से प्राप्त 365 शिक्षकों से संबंधित शिकायतों में से 161 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है।
जिन 42 शिक्षकों के प्रमाणपत्र में खामियां मिली हैं, उनमें सर्वाधिक हरिद्वार के 18, देहरादून के 12, रुद्रप्रयाग व ऊधमसिंहनगर के चार-चार, पौड़ी के दो, अल्मोड़ा व नैनीताल के एक-एक शिक्षक हैं। उन्होंने प्रमाणपत्रों की जांच के लिए विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों की ओर से मांगे जा रहे शुल्क का मामला भी रखा। शिक्षा मंत्री ने आश्वस्त किया कि उक्त मामले में विभाग पुरजोर पैरवी करेगा, जरूरत पड़ी तो शिक्षा विभाग से धन दिलाया जाएगा।