देहरादून। प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे उत्तराखंड में भी अब आकाश में बिजली चमकने और आंधी-तूफान की तीव्रता के आकलन के साथ ही कारणों का भी पता लगाया जा सकेगा। भारतीय उष्णीयदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे के सहयोग से हेमवती नंदन बहुगुणा (एचएनबी) केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के भौतिकी विभाग में इसके लिए प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है। इस प्रयोगशाला के स्थापित होने से वैज्ञानिकों को मौसम में होने वाले अचानक बदलाव की जानकारी मिल सकेगी।
गौरतलब है कि मौसम के पूर्वानुमान से नुकसान को कम किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि वातावरण में विद्युतीय तरंगों का प्रवाह हमेशा होता रहता है। मौसम में बदलाव के साथ इसमें भी परिवर्तन होता रहता है। तरंगों की तीव्रता का अध्ययन करने से मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। गढ़वाल विश्विद्यालय के भौतिकी विभाग में इसी के अध्ययन के लिए लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क (एलएलएन) सेंसर स्थापित किया जा रहा है।
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यहां बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅक्टर आलोक सागर गौतम ने कहा कि यदि वातावरणीय विद्युतीय मापदंडों (एटमोसफेरिक इलेक्ट्रिकल पैरामीटर) की निगरानी की जाए, तो किसी भी क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन को 4 घंटे पहले भी बताया जा सकता है।
गौर करने वाली बात है कि फिलहाल एलएनएल सेंसर आईआईटीएम पुणे में स्थापित है। डाॅक्टर गौतम ने आईआईटीएम के वैज्ञानिक डाॅक्टर एसडी पवार से गढ़वाल विश्विद्यालय में सेंसर स्थापित करवाने का अनुरोध किया था। डाॅक्टर पवार ने इसे मंजूरी देते हुए विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग को उनके द्वारा बनाए गए सेंसर भेज दिए हैं। बताया जा रहा है कि 21 अक्तूबर को सेंसर को स्वयं डाॅक्टर पवार चालू कराएंगे।